कट्टरपंथी संगठन पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (Popular Front of India) देश की सम्प्रभुता और एकता को तोड़ने के लिए अलग-अलग तरीके से काम करता रहा है। देश में दंगे भड़काने से लेकर देश विरोधी गतिविधियों में संलिप्तता पाए जाने के बाद अब पीएफआई की एक और करतूत का खुलासा हुआ है।
दरअसल, पटना पुलिस की जाँच के बाद यह सामने आया है कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) अपने संगठन में भर्ती करने के लिए रोहिंग्या मुस्लिमों (Rohingya) और बांग्लादेशी घुसपैठियों के लिए आधार कार्ड बनवा रहा है।
पटना पुलिस ने अपनी इस जाँच में कहा है कि हमें आशंका है कि पीएफआई आधार कार्ड बनवाने के लिए तस्करों द्वारा फर्जी कागजात तैयार करवाने के साथ ही ऐसे तरीके अपना रहा है जिससे घुसपैठियों की पहचान होना बेहद मुश्किल है।
पुलिस ने यह भी कहा कि पीएफआई रोहिंग्याओं और बांग्लादेशी घुसपैठियों को कर्नाटक और समेत अन्य राज्यों में मज़दूर के रूप में भेज रहा है ताकि इनकी नई पहचान बनाई जा सके।
न्यूज़ 18 की रिपोर्ट में कहा गया है कि बिहार के सीमांचल क्षेत्र खासतौर से किशनगंज, दरभंगा, कटिहार, मधुबनी, सुपौल और पूर्णिया जिलों को टारगेट किया जा रहा है।
मुस्लिम परिवार कर रहे हैं फर्जी दस्तावेज बनवाने में सहयोग
इस रिपोर्ट में एक अधिकारी के हवाले से यह भी कहा गया है कि फर्जी आधार कार्ड बनवाने के लिए पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) द्वारा भारतीय मुस्लिम परिवारों का उपयोग किया जा रहा है। इसके लिए, पीएफआई इन मुस्लिम परिवारों को विभिन्न प्रकार के लालच देते हुए कुछ पैसे भी देती है। जिसके बाद, मुस्लिम परिवार रोहिंग्याओं और बांग्लादेशी घुसपैठियों को अपने परिवार का हिस्सा बताते हैं।
जिस व्यक्ति के फर्जी दस्तावेज तैयार कराने होते हैं उसके लिए इन मुस्लिम परिवारों द्वारा यह कहा जाता है कि जब यह छोटा था तो इसे रिश्तेदार के यहाँ भेज दिया था और किसी कारण से उसका वहाँ आधार कार्ड नहीं बन सका है। लेकिन, अब यह हमारे साथ रहने के लिए वापस आ गया है इसलिए इसके आधार कार्ड की आवश्यकता है।
रोहिंग्याओं और बांग्लादेशी घुसपैठियों को लेकर बिहार पुलिस के अधिकारी इस बात की भी आशंका जताते हैं कि बंगाल-असम सीमा पर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था कर दी है इसलिए अब घुसपैठिए भारत-नेपाल बॉर्डर से घुसपैठ कर रहे हैं। यही कारण है कि भारत-नेपाल सीमा पर कई अवैध कालोनियाँ बस चुकीं हैं।
बिहार पुलिस के अधिकारी ने बताया है कि एक अनुमान के मुताबिक 2018 के बाद से अब तक नेपाल बॉर्डर पर लगभग 500 करोड़ रुपए की लागत से 700 के करीब नए मदरसों और मस्जिदों का निर्माण कराया गया है। बॉर्डर पर हुए इस अवैध निर्माण के लिए यूएई, कतर और तुर्की जैसों देशों द्वारा फंडिंग का अंदेशा भी जताया जा रहा है।