उत्तर प्रदेश में गाय या गौवंश का परिवहन यूपी गौहत्या अधिनियम (UP Cow Slaughter Act) के किसी भी प्रावधान का उल्लंघन नहीं है। इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) के जस्टिस मोहम्मद असलम ने यह बात कही है। जस्टिस असलम ने गुरुवार (25 अगस्त 2022) को वाराणसी के जिलाधिकारी द्वारा पारित एक आदेश को रद्द करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश राज्य के भीतर गाय और उसके वंश को ले जाने के लिए किसी परमिट की आवश्यकता नहीं है।
जिलाधिकारी ने बिना वैध अनुमति के कथित गौहत्या के उद्देश्य से जानवरों को ले जा रहे वाहन को जब्त करने का आदेश दिया था। अदालत ने कहा कि वाराणसी के डीएम ने 18 अगस्त 2021 को जब्ती का गलत आदेश पारित किया, जबकि उत्तर प्रदेश राज्य के भीतर गाय और उसके वंश को ले जाने के लिए किसी परमिट की आवश्यकता नहीं है। अदालत ने कहा कि वाराणसी के डीएम का आदेश उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर का था।
जस्टिस असलम ने एक पुराने निर्णय का भी हवाला दिया। इसमें कहा गया था कि यदि यह मान भी लिया जाए कि आरोपित हत्या के लिए गाय और बैल ले जा रहे हैं तो भी वह गौहत्या अधिनियम के तहत दंडनीय अपराध नहीं है। लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार इस फैसले में कहा गया था, “यदि परिवहन के दौरान गाय और बैल की मौत सामान्य कारणों से हो जाती है तो यह गौहत्या अधिनियम के तहत अपराध नहीं है। भले ही इन मवेशियों को हत्या करने के इरादे से ले जाया गया हो, क्योंकि हत्या के अपराध का इरादा दंडनीय नहीं है।”
मोहम्मद शाकिब ने दायर की थी याचिका
रिपोर्ट्स के मुताबिक मोहम्मद शाकिब ने वाराणसी जिला मजिस्ट्रेट के समक्ष अपने ट्रक को छोड़ने के लिए एक आवेदन दिया था, जिसे खारिज कर दिया गया था। इसके बाद उसने पुनरीक्षण याचिका दायर की थी, उसे भी खारिज कर दिया गया। फिर शाकिब ने डीएम के आदेश के साथ-साथ पुनरीक्षण न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर की
इस मामले पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति मोहम्मद असलम ने कहा कि गाय और उसके वंश को उत्तर प्रदेश के भीतर ले जाने के लिए किसी परमिट की आवश्यकता नहीं है। बिना किसी कानूनी अधिकार के गाय के परिवहन व्यवसाय में लगे ट्रक को पुलिस ने पकड़ लिया और जब्त कर लिया। इस मामले में गौहत्या अधिनियम की धारा 3/5ए/8, 5बी और पशु क्रूरता निवारण अधिनियम की धारा 11 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी।