पाकिस्तान के एक मौलवी ने अहमदिया समुदाय की गर्भवती महिलाओं पर हमला करने का फतवा जारी किया है। मौलवी का नाम मुहम्मद नईम चट्ठा कादरी है। मौलवी का तर्क है कि ऐसा करना इसलिए जरूरी है जिस से कोई नया अहमदिया पैदा न होने पाए। इसी के साथ मौलवी के मुताबिक इस्लाम की बुराई करने वालों के लिए ‘सिर तन से जुदा’ की ही सज़ा होनी चाहिए। मुहम्मद नईम का यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।
वायरल हो रहे वीडियो में मौलवी पंजाबी भाषा में बोलता दिखाई दे रहा है। उसने महमूद गज़नवी का नाम लिया और अहमदिया समुदाय की गर्भवती औरतों पर हमले का फतवा दिया। अपने बयान में मौलवी ने पाकिस्तान के पुलिस प्रशासन को भी चेतावनी दी। उसने कहा, “अगर कोई पुलिस या प्रशासनिक अधिकारी मेरी बात को सुन रहे हों तो ये जान लें कि हम रुकने वाले नहीं हैं।” मौलवी के बयान पर मंच के नीचे भीड़ में से विरोध के बजाए समर्थन में नारेबाजी होती रही।
A cleric named Muhammad Naeem Chattha Qadri openly inciting violence against Ahmadis, saying the babies of the Ahmadis should be killed before being born (in the wombs of their mothers)..pic.twitter.com/sGOXdRJA1P
— UNewsTv.Com (@UNewsTv) September 30, 2022
मौलवी ने साफ तौर पर कहा कि इस्लाम की निंदा करने वालों के लिए सिर तन से जुदा की सज़ा मुकर्रर है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मौलवी ने आगे कहा, “अगर हम गर्भवती अहमदिया महिलाओं को मारने में सफल नहीं हो पाएँ तो उन बच्चों को पैदा होने के बाद कत्ल कर दो।” मौलवी मुहम्मद नईम चट्ठा कादरी पाकिस्तान के प्रतिबंधित और कट्टरपंथी कहे जाने वाली जमात तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP) का सदस्य है।
इंटरनेशनल ह्यूमन राइट्स कमेटी ने इस घटना पर चिंता व्यक्त की है। एक पत्र जारी करते हुए कमेटी ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इस मामले में हस्तक्षेप करने और अहमदियों की रक्षा करने की माँग की। इसी पत्र में बताया गया है कि तहरीक-ए-लब्बैक का पाकिस्तान में अहमदियों के खिलाफ हिंसा का पुराना इतिहास रहा है। पत्र में अगस्त 2022 में पाकिस्तान में हुई नसीर अहमद की हत्या का जिक्र किया गया है।
TLP leader Muhammad Naeem Chattha calls on his supporters to carry out attacks against pregnant Ahmadi Mothers to ensure that no new Ahamdis are born and those babies who are being born, should be killed.
— Ayaz Bazai (@journobazai) October 1, 2022
-International Human Rights Committee pic.twitter.com/x07upSHySn
एक रिपोर्ट के मुताबिक हत्या के दौरान नसीर अहमद 62 साल के थे। वो 3 साल की बच्ची के पिता थे जब उन्हें रबवाह शहर में चाकुओं से गोद दिया गया था। माना जा रहा है कि इस फतवे के बाद अहमदियों पर हमलों की तादाद बढ़ सकती है।