तमिलनाडु (Tamil Nadu) दिवंगत मुख्यमंत्री जयललिता (J Jayalalithaa) की मौत की परिस्थितियों की जाँच कर रही कमीशन ने उनकी सहेली शशिकला (Shashikala) पर गंभीर आरोप लगाए हैं। राज्य में जयललिता को अम्मा और उनकी सबसे खास सहेली शशिकला को चिन्नमा के नाम से जाना जाता है।
जाँच कमीशन ने 600 पन्नों की अपनी रिपोर्ट में कई प्रमुख व्यक्तियों पर संदेह जताया है। इनमें शशिकला, डॉक्टर केएस शिवकुमार, पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सी विजय भास्कर, तत्कालीन स्वास्थ्य सचिव जे राधाकृष्णन और तत्कालीन मुख्य सचिव राममोहन राव शामिल हैं। कमीशन ने इन लोगों के खिलाफ जाँच की सिफारिश की है।
रिपोर्ट में कहा गया कि जयललिता को इलाज के लिए विदेश क्यों नहीं ले जाया गया और अमेरिका एवं इंग्लैंड के डॉक्टरों द्वारा सुझाए गए एंजियोप्लास्टी क्यों नहीं की गई। इसके साथ ही अस्पताल ने किसी के दवाब में इसे टाल दिया। रिपोर्ट में कहा गया है कि अपोलो के डॉक्टर शशिकला के लगातार संपर्क में थे और उनकी सहमति के बाद ही वे आगे की प्रक्रिया के लिए बढ़ते थे।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जयललिता की मौत 4 दिसंबर 2016 को दोपहर 3:50 बजे ही हो गई थी, लेकिन उनकी मृत्यु की घोषणा करने में जानबूझकर देरी की गई। मेडिकल बुलेटिन में दिल के दौरे को मौत की वजह बताया गया था। जयललिता के बीमार पड़ने से लेकर उनकी मौत के समय तक शशिकला उनके साथ थीं। जब ये सब जयललिता के साथ हो रहा था, तब वो राज्य की मुख्यमंत्री थीं।
पैनल ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि बेहद मजबूत सबूत के आधार पर ही जयललिता ने नवंबर 2011 से मार्च 2012 तक शशिकला को अपने आवास पोएस गार्डन से निकाल दिया था। हालाँकि, बाद में शशिकला ने माफी माँगी तो उन्हें वापस घर में घुसने दी, फिर भी एक निश्चित दूरी बनाकर रखी।
राज्य सरकार को सौंपे गए अपनी रिपोर्ट में जस्टिस अरुमुघस्वामी आयोग ने गवाहों के बयानों का हवाला देते हुए पैनल ने कहा कि यह ‘अनुमान’ लगाया जा सकता है कि कुछ तनावपूर्ण संबंधों के कारण ही जयललिता ने शशिकला और उनके रिश्तेदारों को पोएस गार्डन छोड़ने के लिए कहा होगा।
आयोग ने 150 गवाहों के बयान दर्ज किए हैं, जिनमें अन्नाद्रमुक (AIADMK) के शीर्ष नेता ओ पनीरसेल्वम, पूर्व स्वास्थ्य मंत्री केसी विजयभास्कर, एम थंबीदुरई, सी पोन्नियन, मनोज पांडियन, जयललिता की भतीजी दीपा और भतीजे दीपक, डॉक्टर और शीर्ष अधिकारी शामिल हैं।
बता दें कि जयललिता की तबीयत खराब होने के बाद साल 2016 में उन्हें चेन्नई के अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वह अस्पताल में लगभग 75 दिन तक भर्ती रही थीं। अंत में उनकी 5 दिसंबर 2016 को जयललिता की मौत हो गई थी। जयललिता की मौत के बाद कई तरह के सवाल उठाए गए थे।
लोगों में आक्रोश को देखते हुए तत्कालीन तमिलनाडु सरकार ने जस्टिस अरुमुगास्वामी की अध्यक्षता में एक जाँच कमीशन का गठन किया था। कमीशन की रिपोर्ट सौंपने के बाद राज्य सरकार ने इसे मंगलवार (18 अक्टूबर 2022) को सदन में रखा।