इजरायल (Israel) में मतदान बाद के सामने आए आंशिक नतीजों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के खास दोस्त और पूर्व प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू (Benjamin Netanyahu) एक बार फिर सत्ता में वापसी करने जा रहे हैं। नेतान्याहू की सत्ता में वापसी के पीछे वहाँ के धुर दक्षिणपंथी नेता इतामार बेन-ग्विर (Itamar Ben-Gvir) का महत्वपूर्ण योगदान माना जा रहा है और नई सरकार में वे किंगमेकर की भूमिका निभा सकते हैं।
इजरायल में हुए आम चुनाव के 86% मतों की गिनती हो चुकी है। इसमें नेतन्याहू गुट को 120 में से 65 सीटें जीतने मिलती दिख रही हैं। रीलियस जियोनिज्म पार्टी के अति-राष्ट्रवादी और धुर दक्षिणपंथी प्रमुख बेन-ग्विर का समर्थन 73 वर्षीय नेतन्याहू की भारी बहुमत वाली जीत को सुनिश्चित किया है।
बेन-ग्विर और बेज़ेल स्मोट्रिच को अरब विरोधी रूख और ‘अविश्वासघाती’ राजनेताओं एवं नागरिकों के निर्वासन की वकालत करने वाले नेता के रूप में जाना जाता है। बेन-ग्विर दिवंगत अति-राष्ट्रवादी मीर कहाने के अनुयायी हैं। कहाने के संगठन को इज़राइल में प्रतिबंधित कर दिया गया था और अमेरिका ने एक आतंकवादी समूह के रूप में नामित किया गया था।
हालाँकि, बहुमत को देखते हुए बेन-ग्विर ने बुधवार (2 नवंबर 2022) को मीडिया से कहा कि वे सभी इजरायल के सभी नागरिकों के लिए काम करेंगे, चाहें वे उनसे नफरत करने वाले ही क्यों ना हों। हालाँकि, उनकी विजय भाषण के दौरान लोगों ने ‘आतंकवादियों को मौत’ के नारे लगाए।
पिछले महीने बेन-ग्विर उस समय खूब सुर्खियों में रहे, जब पूर्वी यरुशलम के अरब शेख जर्राह जिले फ्लैशपॉइंट के दौरा करने के दौरान फिलिस्तीनियों ने पत्थर से उन्हें निशाना बनाया था। उसके बाद बेन-ग्विर ने अपराधियों को गोली मारने के लिए बुलाया था। इस दौरान उन्हें बंदूक निकालते हुए भी देखा गया था।
नई सरकार में पुलिस मंत्री बनने के इच्छुक 46 वर्षीय बेन-ग्विर को साल 2007 में अरबों के खिलाफ नस्लवादी उकसावे और कच के समर्थन के लिए दोषी ठहराया गया था। कच को इजरायल और अमेरिकी ने आतंकवादी की सूची में डालकर ब्लैकलिस्ट कर रखा है।
इसी साल 29 सितंबर को जो बाइडेन की सरकार में एक अधिकारी के हवाले से इजरायली ह्योम अखबार ने लिखा था, “बेन-ग्विर के इतिहास, उनके कार्यों, उनके बयानों को देखें तो ये कोई ऐसा व्यक्ति नहीं हैं, जिन्हें हम सरकार के हिस्से के रूप में देखना चाहते हैं।”
हालाँकि, बेन-ग्विर को लेकर अमेरिकी चिंता को बेंजामिन नेतन्याहू ने सिरे से खारिज कर दिया था। नेतन्याहू ने 26 अक्टूबर को इज़राइल के चैनल 14 टीवी को बताते हुए कहा था, “तो उन्हें (अमेरिका को) अपनी राय देने दें। इसका मुझ पर कोई प्रभाव नहीं है।”
बेन-ग्विर एक ऐसे नेता के रूप में जाने जाते हैं, जो इजरायल से सभी फिलिस्तीनियों के निष्कासन की वकालत करता है। हालाँकि, समय के साथ उनके रूख में भी थोड़ा-बहुत परिवर्तन देखने को मिल रहा है। बेन-ग्विर का कहना है कि वे केवल उन लोगों के निष्कासन की बात करते हैं, जो देशद्रोही या आतंकवादी हैं। उनका मानना है कि यहूदियों को देश के प्रति वफादार होना चाहिए।
बेन-ग्विर फाँसी की सजा और सैनिकों को कार्रवाई की स्वतंत्रता के समर्थक हैं। इतना ही नहीं, बेन-ग्विर उस अंतरिम शांति समझौते के भी खिलाफ रहे हैं, जिसके तहत इज़रायल के कब्जे में सन 1967 में आए वेस्ट बैंक के कुछ हिस्सों में फिलिस्तीनी प्राधिकरण के शासन का अधिकार दिया गया है। वे इस पूरी तरह इजरायल के नियंत्रण में लाना चाहते हैं। वे ‘गे’ को भी घृणित मानते हैं और शादी को यहूदी नियमों के अनुसार संचालन की वकालत करते हैं।
पेशे से वकील बेन-ग्विर यरुशलम के अल-अक्सा मस्जिद के पास भी अक्सर जाते रहते हैं। इसे यहूदी पवित्र टेंपल माउंट मानते हैं। यह इलाका यहूदियों का सबसे पवित्र और मुस्लिमों का तीसरा सबसे पवित्र जगह है। उस जगह वे अक्सर कहते हैं, “मैं यहाँ देश को बचाने के लिए आया हूँ।” वे कहते हैं, “मैं जेहादियों के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा हूँ और अपने देश को बचाने निकला हूँ।”