शादी से पहले सेक्स और अवैध संबंधों को इंडोनेशिया सरकार दंडनीय अपराध बनाने जा रही है। इसके दोषियों को जेल की सजा काटनी होगी। इंडोनेशिया की संसद में एक नया क्रिमिनल कोड (Criminal Code) पास होने वाला है, जिसके तहत शादी से पहले सेक्स (Sex Before Marriage) को अपराध मानते हुए दोषियों को एक साल तक जेल की सजा का प्रावधान किया जाएगा।
इस कानून को इंडोनेशिया की संसद जल्दी ही पास करने वाली है। नए कानून के तहत सिर्फ पति और पत्नी ही आपसी यौन संबंध स्थापित कर सकेंगे। पराए पुरुष या महिला से संबंध बनाने वालों को दंडित किया जाएगा। इसके राष्ट्रपति का अपमान और सरकारी विचारधारा का विरोध माना जाएगा। बता दें कि ये दोनों ही इंडोनेशिया में प्रतिबंधित हैं।
इस क्रिमिनल कोड के आर्टिकल 413 के पैराग्राफ 1 में कहा गया है, “कोई भी व्यक्ति अगर किसी ऐसे शख्स से संबंध बनाता है, जो उसका पति या पत्नी नहीं है तो उसे व्यभिचार का दोषी माना जाएगा। ऐसी स्थिति में उस पर जुर्माना लगाया जाएगा या उसे एक साल की सजा सुनाई जाएगी।” इसमें लिव-इन रिलेशन पर भी प्रतिबंध लगाया गया है।
हालाँकि, इसमें एक शर्त भी जोड़ी गई है। शर्त में कहा गया है कि किसी व्यक्ति या महिला पर कार्रवाई तभी की जाएगी, जब ऐसा करने वाले के पति या पत्नी व्यभिचार की शिकायत दर्ज कराए। अगर आरोपित नाबालिग है तो उसके माता-पिता की ओर से शिकायत दर्ज करानी होगी। नए कानून पर मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने आपत्ति जताई है।
बता दें कि तीन साल पहले भी इस कानून को लागू करने की कोशिश की गई थी। उस दौरान दुनिया की सबसे अधिक आबादी अधिक मुस्लिम आबादी इस मुल्क में हजारों लोग सड़कों पर उतर आए थे और इसका विरोध किया था। प्रदर्शनकारियों ने इसे ‘फ्रीडम ऑफ स्पीच’ का हनन बताया था। इसके बाद वहाँ की सरकार ने अपने कदम वापस खींच लिए थे।
प्रस्तावित कानून को लेकर इंडोनेशिया के उप न्याय मंत्री एडवर्ड उमर शरीफ हियरीज ने कहा है कि नई आपराधिक संहिता 15 दिसंबर को पारित होने की उम्मीद थी। उन्होंने कहा, “हमें इस क्रिमिनल कोड पर गर्व है और यह इंडोनेशियाई मूल्यों के अनुरूप है।” कानून का मसौदा बनाने में शामिल विधायक बंबांग वुरियन्टो ने कहा कि इसे अगले सप्ताह की शुरुआत में पारित किया जा सकता है।
अगर यह कानून पारित हो जाता है तो यह इंडोनेशिया के नागरिकों के साथ-साथ विदेशी यात्रियों पर भी लागू होगा। हालाँकि, इस कानून में समलैंगिकों को शामिल नहीं किया गया है, क्योंकि उन्हें इंडोनेशिया में विवाह करने का अधिकार प्राप्त नहीं है। वहीं, बलात्कार के मामलों को छोड़कर गर्भपात करना या कराना भी प्रतिबंधित रहेगा।
इसको लेकर सोशल एक्टिविस्ट नुरीना सावित्री का कहना है कि इसमें 88 ऐसे अनुच्छेद हैं, जिनका अधिकारियों द्वारा गलत व्याख्या की जा सकती है और उनका दुरुपयोग हो सकता है। वहीं, इसके दर्जनों अनुच्छेदों का इस्तेमाल असहमति को दबाने के लिए किया जा सकता है। उनका कहना है कि इसमें शांतिपूर्ण प्रदर्शनों को अपराध घोषित किया गया है। वहीं, महिलाओं, अल्पसंख्यकों और समलैंगिकों के खिलाफ भेदभाव पूर्ण रवैया अपनाया गया है।