Wednesday, May 1, 2024
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30 दिन में बाँटी जाएँगी 1 लाख भगवद गीता: रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने की इस्कॉन के प्रयास की सराहना, बोले- इसे पढ़ लिया तो किसी हेल्प बुक की जरूरत नहीं

रक्षा मंत्री सिंह ने कहा, "गीता का ज्ञान भारत के समाज का आधार है। भारत एक शान्तिप्रिय देश रहा है। हिंसा, युद्ध यह कभी भी भारत की प्रवृत्ति नहीं रही है। इसलिए भारत ने कभी किसी दूसरे देश पर न हमला किया ना कभी किसी की एक इंच ज़मीन पर कब्जा किया। इसलिए दुनिया को यह समझना होगा कि अगर युद्ध और हिंसा हमारी प्रवृत्ति नहीं तो अन्याय सहना और अधर्म के प्रति तटस्थ रहना भी हमारे चरित्र का हिस्सा नहीं रहा है।"

श्रीमदभगवद् गीता जयंती महोत्सव पर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने बंगलुरु में इस्कॉन (ISCKON) के कार्यक्रम में शामिल हुए। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि गीता सिर्फ एक ग्रंथ भर नहीं है, यह जीती-जागती ज्ञान गंगा हैं, जो प्राचीन काल से मानव को अपने ज्ञानामृत से सींचती चली आ रही है।

उन्होंने कहा, “अनादि काल से चले आ रहे मानवीय भावों को उदात्त करने का एक माध्यम है गीता। गीता शाश्वत है, नित्य है, सत्य है। इसलिए गीता का कोई एक दिवस न होकर हरेक दिवस होना चाहिए। वास्तव में तो गीता मनाने की नहीं, बल्कि मानने का आग्रह है। मानने की भी नहीं, बल्कि यह जीने का आग्रह है।”

रक्षामंत्री ने कहा, “हरि अनंत हरि कथा अनंता’ की भाँति गीता भी मैं समझता हूँ अनंत है और इसकी व्याख्या अनंत है। अब तक जिन ग्रंथों के सर्वाधिक भाष्य मिलते हैं, गीता उनमें से एक है। स्वामी विवेकानंद, महात्मा गाँधी से लेकर पंडित नेहरू, महर्षि अरविंदो, लोकमान्य तिलक ने गीता को अपने-अपने ढंग से देखा है।” उन्होंने कहा कि विदेशों में समस्याओं के समाधान के लिए हेल्पबुक का चलन है, लेकिन अगर गीता को पढ़ लिया तो हेल्प बुक की जरूरत नहीं पड़ेगी।

उन्होंने कहा, “गीता हमें ऐसा सूत्र प्रदान करती है, जिसके सहारे हम अपनी आत्मा का दर्शन कर सकते हैं। आज इंसान को बाहरी दुनिया की बड़ी चिंता रहती है। दिल्ली में क्या हो रहा है, अमेरिका में क्या हो रहा है, लंदन में, फ्रांस में क्या घटित हो रहा है, उसे बड़ी चिंता रहती है। गीता हमें अंतर्मन की ओर देखने का ज्ञान देती है। आत्मा से जोड़ती है, जो परमात्मा का ही एक अंश है। जो शाश्वत है और अनश्वर है। आत्मा को केंद्र में रखने वाला प्राणी सुख-दुख से ऊपर उठकर दुख से ऊपर उठकर आनंद की प्राप्ति करता है।”

राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत हमेशा से ज्ञान का केंद्र रहा है और इस ज्ञान के अस्तित्व को न केवल दूसरे देशों ने स्वीकार किया, बल्कि अपनाया भी है। भगवदगीता ने दुनिया के कई महान और प्रसिद्ध लोगों को न केवल प्रभावित किया है, बल्कि उनके जीवन को भी पूरी तरह से बदल दिया है। गीता सिर्फ धार्मिक ग्रन्थ ही नहीं, इसमें निहित ज्ञान सबके लिए, खासकर युवा वर्ग के लिए एक Inspiration है।

रक्षा मंत्री ने कहा, “गीता का ज्ञान भारत के समाज का आधार है। भारत एक शान्तिप्रिय देश रहा है। हिंसा, युद्ध यह कभी भी भारत की प्रवृत्ति नहीं रही है। इसलिए भारत ने कभी किसी दूसरे देश पर न हमला किया ना कभी किसी की एक इंच ज़मीन पर कब्जा किया। इसलिए दुनिया को यह समझना होगा कि अगर युद्ध और हिंसा हमारी प्रवृत्ति नहीं तो अन्याय सहना और अधर्म के प्रति तटस्थ रहना भी हमारे चरित्र का हिस्सा नहीं रहा है।”

ISKON की सराहना करते हुए रक्षामंत्री सिंह ने कहा कि गीता दान यज्ञ महोत्सव के माध्यम से भगवान कृष्ण के शाश्वत संदेश को जन-जन तक पहुँचाने के लिए इस्कॉन का प्रयास सराहना है। उन्होंने कहा कि 30 दिनों तक चलने वाले इस यज्ञ के दौरान 1 लाख भगवदगीता बाँटने की योजना बनाई गई है। ज्ञान ही तो ऐसा धन है, जो बाँटने से बढ़ता है। इस्कॉन अपने प्रयास में सफल होगा।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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