प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हाल ही में यूएई में सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘जायद’ से नवाजा गया। उन्हें यह सम्मान यूएई के साथ संबंधों को मजबूत करने के लिए दिया गया। इस सम्मान के मिलने के साथ ही इस्लामिक देशों से प्रधानमंत्री मोदी को मिलने वाले सम्मानों की संख्या 5 वर्ष के अंदर 6 हो गई।
खास बात यह है कि ये सम्मान प्रधानमंत्री को उस समय मिला है जब भारत लगातार आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को दरकिनार कर रहा है। ये सम्मान दर्शाता है कि मोदी के कार्यकाल में मुस्लिम देशों के साथ भारत के रिश्ते पहले से ज्यादा मजबूत हो रहे हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो सरकार के कुछ शीर्ष सूत्रों ने इन सम्मानों को पाकिस्तान के मुँह पर तमांचा करार दिया है। जो अपनी लाख कोशिशों के बाद भी भारत को अलग-थलग करने में नाकामयाब रहा। खासकर मुस्लिम देशों से।
एएनआई की खबर के मुताबिक इन सूत्रों ने कहा है कि पाकिस्तान को अब एहसास होगा कि ये नया भारत है जो विश्व के साथ जुड़ा भी हुआ है और साथ ही सुनिश्चित भी करता है कि आतंक फैलाने वाले अलग-थलग हों।
उल्लेखनीय है कि भारत में आर्टिकल 370 निष्प्रभावी होने के बाद पाकिस्तान लगातार विश्व के कई देशों से अपना रोना रो चुका है, लेकिन उसे किसी भी ओर से कोई आस नहीं दिखाई दी। ऐसे में अब जब बहरीन में उन्हें ‘द किंग हमाद ऑर्डर ऑफ़ द रेनेसां’ , यूएई में जायद, फिलिस्तान में ‘ग्रैंड कॉलर ऑफ द स्टेट ऑफ फिलिस्तीन’ , अफ़गानिस्तान में आमिर अमानुल्लाह खान अवार्ड, सउदी अरब में किंग अब्दुल्लाजीज शैश अवार्ड और मालदीप में रुल ऑफ निशान इज्जुद्दिओं से सम्मानित किया गया है तो लगता है मुस्लिम देशों से भारत देशों के सम्बंध पहले के मुकाबले बेहतर हो रहे हैं।
प्रधानमंत्री के व्यक्तिगत राजनयिक ने इस्लामिक देशों से सुधरते रिश्तों के बारे में बात करते हुए इसे भारत के लिए बेहतर परिणाम वाला बताया। उनके मुताबिक इस्लामिक देशों से सुधरते रिश्तों के कारण हज कोटा के निवेश में भी ठोस बढ़त देखने को मिलेगी और वेस्ट एशिया में फँसे कई कैदियों की आजादी को सुनिश्चित करके उन्हें उनके परिजनों ने मिलवाया जा सकेगा। क्योंकि प्रधानमंत्री हर सम्मान मिलने के बाद कहते आए है कि ये किसी एक इंसान के लिए नहीं है बल्कि देश की 130 करोड़ जनता के लिए है।