दिल्ली के MCD चुनाव में अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की आम आदमी पार्टी (AAP) को भारी सफलता मिली है और वह बहुमत के आँकड़े को छूती नजर आ रही है। हालाँकि, मतगणना का अंतिम नतीजे शाम तक घोषित होंगे। इस बीच दावा किया जा रहा है कि MCD में भले ही AAP ने बहुमत हासिल किया हो, लेकिन मेयर (Mayor) भाजपा का ही बनेगा।
दरअसल, दिल्ली भाजपा के प्रवक्ता तजिंदरपाल सिंह बग्गा ने ट्वीट कर कहा, “दिल्ली में फिर एक बार भारतीय जनता पार्टी का मेयर बनेगा।” बग्गा ने यह ट्वीट 12:41 मिनट पर किया और उस समय तक शुरुआती रुझानों में AAP की बहुमत साफ हो गई थी।
दिल्ली में फिर एक बार भारतीय जनता पार्टी का मेयर बनेगा ।
— Tajinder Pal Singh Bagga (@TajinderBagga) December 7, 2022
उसके बाद सोशल मीडिया पर दावा किया जाने लगा कि AAP ने एमसीडी में भले ही बहुमत हासिल कर लिया हो, लेकिन दिल्ली का मेयर भाजपा का ही बनेगा। इसके पीछे कई तर्क दिए जा रहे हैं। इनमें से एक तर्क यह है कि दिल्ली के राज्यपाल 12 पार्षदों को मनोनीत करेंगे। इस तरह भाजपा के पार्षदों की संख्या बढ़कर 116 हो जाएंँगी।
इसके साथ ही लोगों का यह भी तर्क है कि AAP के पार्षद भले ही अधिक हों, लेकिन वे क्रॉस वोटिंग करेंगे और भाजपा के मेयर चुनने में मदद करेंगी। वहीं, कुछ लोग पार्षदों के भाजपा में शामिल होने की बात भी कर रहे हैं, क्योंकि पार्षदों पर दल-बदल कानून लागू नहीं होता।
MCD चुनावों में दल-बदल कानून का लागू नहीं होना ही आम आदमी पार्टी के लिए असली खतरा है। सांसद और विधायक अपनी मर्जी से पार्टी नहीं बदल सकते हैं या सदन में पार्टी की मर्जी के बिना किसी मुद्दे पर वोट नहीं कर सकते हैं। हालाँकि, मेयर, नगर परिषद और नगर पालिकाओं के प्रमुख और पार्षदों पर यह नियम लागू नहीं होता है।
अब अगर भाजपा दावा कर रही है कि मेयर भाजपा का ही होगा तो इसके पीछे वजह भी है। यह तो स्पष्ट हो गया है कि नगरपालिकाओं में दल-बदल कानून लागू नहीं होता, लेकिन जहाँ लागू होता है वहाँ भी भाजपा ने अल्पमत में रहते हुए अपनी सरकार बना ली है। इसके उदाहरण भी हैं।
भाजपा ने गोवा, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में दूसरी पार्टी के विधायकों का समर्थन आसानी हासिल कर सरकार बनाई है। गोवा और मध्य प्रदेश में कॉन्ग्रेस सबसे बड़ी पार्टी थी, इसके बाद भी कॉन्ग्रेस वहाँ सरकार नहीं बना सकी और भाजपा ने सत्ता पर कब्जा कर लिया।
बता दें कि MCD में जो भी पार्टी जीतकर आती है, उसका कार्यकाल 5 साल के लिए होता है, लेकिन उनके द्वारा चुने गए मेयर का कार्यकाल दिल्ली में सिर्फ एक साल का ही होता है। इस तरह दिल्ली में मेयर का चुनाव हर साल होता है। एक ही मेयर लगातार पाँच साल तक नहीं रह सकता है।
दिल्ली नगर निगम एक्ट के अनुसार, कोई भी पार्षद मेयर नहीं बन सकता है। रिजर्वेशन नियमों के तहत पहले साल महिला पार्षद ही मेयर बन सकती है, जबकि तीसरे साल अनुसूचित जाति या जनजाति का कोई पार्षद ही इस पद के लिए दावेदारी कर सकता है। इस तर दूसरे, चौथे और पाँचवेें साल में मेयर का पद अनारक्षित रहेगा और इसके लिए कोई भी पार्षद दावेदारी कर सकेगा।
बता दें कि MCD चुनाव में AAP को 134 सीटें मिली हैं, जबकि भाजपा को 104 सीटें। दिल्ली MCD के लिए 4 दिसंबर 2022 को हुए मतदान में कुल 1349 उम्मीदवार खड़े थे। MCD में सरकार बनाने के लिए किसी भी दल के पास 126 या उससे अधिक का आँकड़ा होना चाहिए।