पाकिस्तान में कट्टरपंथियों के अत्याचार से तंग आकर भारत का रुख करने वाले तमाम हिंदू दिल्ली में करीबन 10 सालों के बिन बिजली के गुजारा कर रहे थे। लेकिन, पिछले महीने कोर्ट के एक आदेश के बाद उनका जीवन बदल गया। लोगों के घरों में बल्ब आ गए, ट्यूबलाइट लग गई और स्विच बॉक्स काम करने लगे।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, एक दशक से लगभग 900 लोग मजलिस पार्क मेट्रो स्टेशन के पीछे एक खुले बड़े मैदान में नारकीय जीवन जी रहे हैं, जहाँ कोई बुनियादी सुविधाएँ नहीं थीं। दिल्ली हाई कोर्ट ने 10 नवंबर, 2022 को शहर में बिजली वितरण करने वाली टाटा पावर दिल्ली डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड (TPDDL) को एक महीने के भीतर शरणार्थियों के सभी घरों में बिजली की आपूर्ति करने का आदेश दिया। सुनवाई के दौरान जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने कहा था, “बिजली की आपूर्ति न करवाना, बुनियादी जरूरतों से इनकार करने जैसा है।”
टाइम्स ऑफ इंडिया (टीओआई) ने 13 दिसंबर 2022 को इस इलाके का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने पाया कि यहाँ के लोगों ने बिजली की आपूर्ति होने के बाद राहत की साँस ली। टीओआई से बात करते हुए पाकिस्तान के सिंध प्रांत के मूल निवासी 47 वर्षीय गुलाब दास ने कहा, “हम वैध तरीके से बुनियादी सुविधाओं की माँग कर रहे हैं, इसलिए यह संघर्ष लंबा चलेगा। कुछ साल पहले सौर पैनल लगाए गए थे, लेकिन वे एक कमरे को भी रोशन करने के लिए भी पर्याप्त नहीं थे।” शिविर के घरों में अब बल्ब, ट्यूबलाइट और स्विच बॉक्स देखे जा सकते हैं।
30 वर्षीय सुनहरी ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा, “हमारा बड़ा परिवार है। हमारे लिए इतने लंबे समय तक अँधेरे में रहना बेहद दर्दनाक था। खासकर हमारे बच्चों के लिए। अब जाकर हमारा दर्द कुछ कम हुआ है। हम भी अपने घरों में बिजली आने का इंतजार कर रहे हैं।”
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2013 में बड़ी संख्या में पाकिस्तान में रहने वाले हिंदू भारत चले आए थे। दिलचस्प बात यह है कि इन शरणार्थियों के कई घरों में भारतीय तिरंगा, भगवा झंडे के साथ-साथ बीजेपी का झंडा देखा जा सकता है। इन शरणार्थियों के लिए भारतीय नागरिकता और मतदान का अधिकार अभी भी एक सपना है। हालाँकि, शरणार्थियों के घरों के रोशन होने के बाद उम्मीद की एक किरण दिखाई देती है कि और चीजों का समाधान भी जल्द ही होगा।
एक अन्य पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थी प्रधान नेहरू लाल का कहना है, “हम चार सौ लोग 2013 में यहाँ आए थे और तब से मैं इस झुग्गी में रह रहा हूँ। यहाँ लगभग 900 लोग रहते हैं और हमारे कई रिश्तेदार जो अभी भी पाकिस्तान में हैं, वे भारत आना चाहते हैं। हमें बिजली की आपूर्ति के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा और इसी तरह अन्य मुद्दे भी हैं। चीजें धीरे-धीरे बदलेंगी और शायद एक दिन हमें सरकार के समर्थन से भारतीय नागरिकता भी मिल जाएगी।”
पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थी खुश
पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थी शिविरों में धीरे-धीरे हो रहे बदलावों से काफी खुश नजर आ रहे हैं। हालाँकि, पानी की आपूर्ति, जल निकासी और सड़कों की स्थिति अभी तक यहाँ बेहद खराब है। क्लस्टर के अंदर एक छोटी सी दुकान चलाने वाले 70 वर्षीय राम चंदर कहते हैं, “10 साल से हमारी हालत ऐसी ही है और हमें अँधेरे में रहने की आदत हो गई थी। सौर पैनल कुछ राहत लेकर आए, लेकिन उतनी नहीं जितनी की हमें आवश्यकता थी। पानी की आपूर्ति, खुली नालियों और उचित सड़कों की कमी जैसे अन्य मुद्दे हमें आज भी परेशान करते हैं।”
इतनी कठिनाइयों के बावजूद, पाकिस्तानी हिंदू भारत को अपना घर कहने में बहुत गर्व महसूस करते हैं। वे पाकिस्तान में अपना सब कुछ छोड़कर भारत आए हैं, एक बेहतर जीवन की तलाश में। उन्हें उम्मीद है कि वे यहाँ बिजली की तरह अपने अन्य अधिकार भी हासिल करेंगे।