26 नवंबर 2008। मुंबई में पाकिस्तान से आए इस्लामी आतंकियों ने कई जगहों पर हमला (26/11 Attack) किया। इनमें से एक जगह कामा एंड एल्बलेस अस्पताल भी था। जब इस अस्पताल में आतंकियों ने फायरिंग शुरू की तब 20 गर्भवती महिलाएँ वार्ड में थीं। उनको कभी भी लेबर पेन शुरू हो सकता था। एक नर्स ने हिम्मत देखते हुए न केवल इन गर्भवती महिलाओं और उनके पेट में पल रहे बच्चों की सुरक्षा की बल्कि हमले के बीच ही एक महिला का प्रसव भी कराया।
ये नर्स थीं अंजलि वी. कुलथे। महिलाओं और बच्चों के लिए 1886 में स्थापित इस अस्पताल की वे नर्सिंग ऑफिसर हैं। उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में हुई एक चर्चा में शिरकत की। दुनिया को 26/11 हमले की कहानी सुनाई। यह भी बताया कि कैसे जब अजमल कसाब की पहचान के लिए उन्हें बुलाया गया था तो वह मुस्कुरा रहा था। उसके चेहरे पर कोई अफसोस नहीं था।
22 साल से इस अस्पताल में काम कर रहीं अंजलि ने बताया कि 26 नवंबर 2008 को रात 8 बजे से उनकी नाइट शिफ्ट शुरू हुई थी। 20 गर्भवती महिलाओं की जिम्मेदारी उन पर थे। उनके साथ दो सहायक हीरा और मधु भी थे। करीब एक घंटे बाद उन्हें मुंबई में आतंकी हमले की सूचना मिली। रात के करीब 10.30 बजे गोली चलने की आवाज उनके अस्पताल के पीछे से भी आने लगी। एक बाथरूम की खिड़की से उन्होंने हथियार लिए दो आतंकियों को अस्पताल में दाखिल होते देखा। इस बीच उनके एक सहायक को गोली भी लग चुकी थी।
अजंलि ने बताया कि वार्ड की तरफ भागते हुए उन्होंने देखा कि आतंकी दो सुरक्षाकर्मियों की हत्या कर चुके हैं। बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। लोहे का दरवाजा बंद किया। लाइट बंद की। सभी महिलाओं को पेंट्री में शिफ्ट किया। एक महिला को उन्होंने गोलीबारी के बीच ही प्रसव कक्ष में शिफ्ट किया और एक बच्ची का जन्म हुआ। अंजलि बताती हैं कि वह पूरी रात खौफ में गुजरी। जब सुबह पुलिस वाले आए तब दरवाजा खुला।
#WATCH | Anjali Vijay Kulthe, a nursing officer at Cama & Albless Hospital, victim & survivor of the 26/11 Mumbai terror attacks, tells about the attack on her hospital & how she saved the lives of 20 pregnant women amid firing by terrorists outside. pic.twitter.com/wkl9lsEHWq
— ANI (@ANI) December 15, 2022
अंजलि ने यूएनएससी में बताया कि जीवित पकड़े जाने के बाद आतंकी अजमल कसाब से वह जेल में मिली थीं। उन्हें कसाब की पहचान के लिए भी बुलाया गया था। उन्होंने जब उसे देखा तो उसके चेहरे पर कोई पछतावा नजर नहीं आया। ऐसा लग रहा था, उसे अपने किए पर कोई अफसोस नहीं था। आपको बता दें कि मुंबई में 26 नवंबर 2008 को हुए आतंकी हमले के दौरान कसाब जिंदा पकड़ा गया था। सभी न्यायिक प्रक्रियाओं के बाद उसे 21 नवंबर 2012 को फाँसी दी गई थी।
I was called for Ajmal Kasab’s identification, he laughed and said that I identified him correctly & that he was only Ajmal Kasab. Despite killing so many people, there wasn’t any remorse on his face. I was saddened & angry by this: AV Kulthe, Nurse, Cama & Albless Hospital pic.twitter.com/1INMeqBwqE
— ANI (@ANI) December 15, 2022
यूएनएससी में अपना संबोधन खत्म करने के बाद अंजलि ने न्यूज़ एजेंसी एएनआई से भी अपना अनुभव साझा किया। आपको बता दें भारत दिसंबर 2022 महीने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता कर रहा है। इस दौरान बैठक में आतंकवाद पर चर्चा की जा रही है।