Saturday, December 21, 2024
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असम की सबसे बड़ी घर-वापसी! 142 लोगों ने ईसाई मजहब को अलविदा कह अपनाया हिन्दू धर्म, मिशनरियों के लालच में आ गया था जनजातीय समाज

बोरदलोई ने यह भी कहा कि घर-वापसी करने वाले इन सभी लोगों ने हमेशा हिंदू धर्म में आस्था और विश्वास रखने का वचन दिया है। घर-वापसी करने वाले तिवा जनजाति के ये लोग जन्म से हिंदू थे।

असम में 142 लोगों ने घर वापसी कर ली। इन सभी ने ईसाइयत छोड़ सनातन धर्म को अपनाया है। इसे असम में हुई अब तक सबसे बड़ी घर-वापसी कहा जा रहा है। इसको लेकर राज्य की हिमंता बिस्वा सरमा सरकार भी चर्चा में है। चर्चा का कारण यह है कि घर-वापसी को भाजपा हिमंता सरकार की नीतियों का प्रभाव बता रही है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, घर-वापसी का यह कार्यक्रम सोमवार (27 फरवरी, 2023) को मोरीगाँव जिले के जागीरोड़ के तिवासोंग गाँव में हुआ। यहाँ सनातन धर्म संस्कृति के अनुसार यज्ञ तथा अन्य धार्मिक अनुष्ठानों के बाद सभी लोगों ने हिंदू धर्म अपना लिया।

इस घर-वापसी को लेकर गोबा देवराजा राज परिषद के महासचिव जुरसिंह बोरदलोई का कहना है कि इस घर-वापसी कार्यक्रम में जनजाति समुदाय के 142 लोगों ने अपनी इच्छा से घर वापसी की है। स्थानीय तिवा जनजाति के लोगों ने प्रलोभन व अन्य कारणों के चलते ईसाई मजहब अपना लिया था। लेकिन। अब इन लोगों ने गोबा देवराजा राज परिषद संस्था से संपर्क किया था। इसके बाद यह कार्यक्रम आयोजित कर घरवापसी कराई गई।

बोरदलोई ने यह भी कहा कि घर-वापसी करने वाले इन सभी लोगों ने हमेशा हिंदू धर्म में आस्था और विश्वास रखने का वचन दिया है। घर-वापसी करने वाले तिवा जनजाति के ये लोग जन्म से हिंदू थे। लेकिन इनके दादा-दादी ने गरीबी तथा शिक्षा की कमी के चलते भ्रमित होकर ईसाई बन गए थे। बोरदलोई ने यह भी कहा है कि वह और उनका संगठन घरवापसी करने वाले सभी लोगों का हरसंभव सहयोग करेंगे।

गोबा देवराजा राज परिषद के महासचिव जुरसिंह बोरदलोई ने यह भी कहा है कि कहा है कि सभी 142 लोगों के जीवन में किसी प्रकार की समस्या न हो इसके लिए वह प्रयास करते रहेंगे। सभी को प्रशिक्षण दिया जाएगा।

बोरदलोई ने दावा किया है कि तिवा जनजाति के करीब 1100 परिवार के लोगों ने सनातन धर्म में घर-वापसी करने का फैसला किया है। घर-वापसी करने वालों के बच्चों को अच्छी शिक्षा मिले, इसके लिए तिवा परिषद द्वारा स्कूलों की स्थापना की जाएगी। इसके अलावा इन सभी के नाम मतदाता सूची में जोड़ने तथा राशनकार्ड बनवाने के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं।

जनजातियों के हित की बात करने वाले जनजाति सुरक्षा मंच असम और तिवा देवराजा परिषद ने माँग की है कि असम सरकार ईसाई धर्म अपनाने वालों का अनुसूचित जनजाति का दर्जा रद्द कर दे, ताकि उन्हें अल्पसंख्यक और अनुसूचित जनजाति होने का दोहरा लाभ ना मिल सके। वहीं, भाजपा विधायक पीयूष हजारिका ने दावा किया है कि हिमंता सरकार की नीतियों से प्रभावित होकर इन सभी ने घर-वापसी की है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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