Sunday, December 22, 2024
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2400 साल पुरानी शारदा पीठ का अमित शाह ने किया उद्घाटन, जल्दी ही श्रद्धालुओं के लिए खोलने का वादा: कहा- शारदा सभ्यता की शुरुआत

कहा जाता है कि इस मंदिर को 2400 साल पहले मगध सम्राट अशोक ने 237 ईसा पूर्व में बनवाया था। यह मंदिर लगातार आक्रमणों का सामना करता रहा है और फिर मरम्मत होता रहा है। इस मंदिर की आखिरी बार मरम्मत डोगरा साम्राज्य के संस्थापक एवं जम्मू-कश्मीर के महाराजा गुलाब सिंह जामवाल ने 19वीं सदी में कराई थी।

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने हिंदुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र प्राचीन शारदा पीठ (Sharda Peeth) मंदिर का उद्गाटन किया। इस दौरान अमित शाह ने कहा कि मोदी सरकार सिखों के करतारपुर कॉरिडोर की तर्ज पर ही यात्रा के लिए शारदा पीठ को भी श्रद्धालुओं के खोलने की दिशा में काम कर रही है। बता दें कि यह मंदिर कुपवाड़ा से करीब 30 किलोमीटर दूर भारत-पाकिस्तान नियंत्रण रेखा पर स्थित है।

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने बुधवार (22 मार्च 2023) को जम्मू-कश्मीर के करनाह सेक्टर के टीटवाल में LOC के पास माता शारदा देवी मंदिर (Mata Sharda Devi Temple) का वर्चुअल उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 निरस्त होने के बाद इस केंद्र शासित प्रदेश में पुरानी परंपराओं, संस्कृति और ‘गंगा जमुनी तहजीब’ की वापसी हो रही है।

उन्होंने कहा कि शारदा पीठ भारत की सांस्कृतिक, धार्मिक एवं शैक्षणिक विरासत का ऐतिहासिक केंद्र रहा है। मोदी सरकार करतारपुर कॉरीडोर की तरह शारदा पीठ को भी श्रद्धालुओं के लिए खोलने की दिशा में आगे बढ़ेगी। अमित शाह ने कहा कि एक समय शारदा पीठ इस उपमहाद्वीप का ज्ञान का केंद्र था। आध्यात्मिक ज्ञान की तलाश में पूरे देश से विद्वान यहाँ आते थे।

बता दें कि शारदा पीठ ज्ञान की देवी सरस्वती का प्राचीन मन्दिर है। यह पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में शारदा के निकट किशनगंगा नदी (जिसे पाकिस्तान में नीलम नदी कहा जाता है) के किनारे स्थित है। इसके भग्नावशेष नियन्त्रण रेखा के निकट स्थित है, जिस पर भारत का अधिकार है। शारदा पीठ कुपवाड़ा से करीब 30 किलोमीटर दूर स्थित है। इसी को भारत सरकार मंदिर का पुनर्निर्माण कराया है।

इस मंदिर का उद्घाटन करते हुए अमित शाह ने कहा कि नवरात्र के पहले दिन ही माता की मूर्ति को प्रतिष्ठित किया गया है। यह कदम सिर्फ मंदिर का पुननिर्माण नहीं, बल्कि शारदा सभ्यता की खोज की शुरुआत है। उन्होंने कहा कि ऐसा माना जाता है कि व्यक्ति की चेतना को ब्रह्मांड की अनंत चेतना के साथ जोड़ने वाली ज्ञान का जमीन पर उतरने वाली शुरुआत होगी।

उन्होंने कहा कि उस समय प्रचलित लिपी को माता शारदा के नाम पर शारदा लिपि रखा गया है। उन्होंने कहा कि मंदिर का पुनर्निर्माण समय सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए गर्व और संतोष का क्षण है। धारा 370 की समाप्ति से घाटी और जम्मू में फिर से एक बार अपनी पुरानी परंपराओं की ओर ले जाने का काम किया है।

उन्होंने कहा कि यह महाशक्ति पीठों में से एक है। यहाँ सती का दाहिना हाथ यहाँ गिरा था और सागर मंथन के बाद जो अमृत निकला था, उसे यहाँ लाया गया था। इससे जो दो बूँद गिरी वो यहाँ मूर्ति के रूप में स्थापित हुई। यहाँ शंकराचार्य आए और सरस्वती माता के लिए स्तुतियों का निर्माण किया।

बता दें कि शारदा पीठ शक्ति की आराधना करने वाले शाक्त संप्रदाय का पहला तीर्थस्थल है। कहा जाता है कि कश्मीर के इसी मंदिर में सर्वप्रथम देवी की आराधना शुरू हुई थी। बाद में माता खीर भवानी मंदिर और माता वैष्णो देवी मंदिर की स्थापना हुई थी।

कहा जाता है कि इस मंदिर को 2400 साल पहले मगध सम्राट अशोक ने 237 ईसा पूर्व में बनवाया था। यह मंदिर लगातार आक्रमणों का सामना करता रहा है और फिर मरम्मत होता रहा है। इस मंदिर की आखिरी बार मरम्मत डोगरा साम्राज्य के संस्थापक एवं जम्मू-कश्मीर के महाराजा गुलाब सिंह जामवाल ने 19वीं सदी में कराई थी।

स्थानीय लोगों का मानना है कि इस पीठ की माँ शारदा तीन शक्तियों का संगम हैं। पहली शारदा (शिक्षा की देवी), दूसरी सरस्वती (ज्ञान की देवी) और वाग्देवी (वाणी की देवी)। इतिहासकारों के अनुसार, शारदा पीठ अमरनाथ और अनंतनाग के मार्तंड सूर्य मंदिर की तरह की श्रद्धा का प्रमुख केंद्र है। हालाँकि, यहाँ इसमें पिछले 70 सालों से पूजा नहीं हुई है। अब इसके पुनर्रुद्धार के बाद यह संभव हो पाया है।

इस मंदिर के निर्माण के लिए दिसंबर 2021 में भूमि पूजन की गई थी। मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए ‘सेव शारदा समिति’ ने एक मंदिर निर्माण समिति का गठन किया था। इस समिति में तीन स्थानीय मुस्लिम, एक सिख और कश्मीरी पंडित शामिल किया गया था। यहाँ मंदिर के साथ-साथ एक गुरुद्वारा और एक मस्जिद का निर्माण कार्य भी शुरू किया गया था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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