पंजाब के बठिंडा आर्मी कैंप में हुई फायरिंग में एक जवान की गिरफ्तारी हुई है। पुलिस ने इस जवान की पहचान देसाई मोहन के तौर पर बताई है। एशिया की इस सबसे बड़ी छावनी में 12 अप्रैल 2023 को फायरिंग हुई थी। दिलचस्प है कि हमले के बाद फायरिंग करने वाले का हुलिया बताने वाला भी देसाई मोहन ही था।
लेकिन सीसीटीवी फुटेज की जाँच से उसकी पोल खुल गई। बठिंडा एसएसपी गुलनीत सिंह खुराना ने बताया है कि कड़ाई से पूछताछ करने पर उसने फायरिंग कर साथी जवानों की हत्या करने की बात स्वीकार ली है। इसके लिए उसने पूरी प्लानिंग की थी। पहले आर्मी स्टेशन से राइफल चोरी की। फिर उससे ही साथी जवानों पर गोलियाँ बरसाई।
न्यूज एजेंसी एएनआई ने भी सेना के दक्षिण-पश्चिमी कमान के मुख्यालय से देसाई की गिरफ्तारी की पुष्टि की है। बताया है कि वह आर्टिलरी यूनिट में तैनात था। उसने राइफल चोरी और फायरिंग में अपनी संलिप्तता कबूल की है। शुरुआती जाँच से संकेत मिलता है कि ऐसा उसने व्यक्तिगत रंजिश में किया।
Bathinda Military Station firing incident | After sustained interrogation, one individual named Gunner Desai Mohan from the Artillery unit, where the incident occurred has confessed to his involvement in stealing an INSAS rifle & killing four of his colleagues. Initial… pic.twitter.com/S8k4d1rlzw
— ANI (@ANI) April 17, 2023
कैसे शक के दायरे में आया देसाई मोहन
जाँच टीम ने मिलिट्री स्टेशन में लगे सीसीटीवी फुटेज की जाँच की। फुटेज में कोई भी व्यक्ति मिलिट्री स्टेशन के अंदर आता या बाहर जाता दिखाई नहीं दिया। इससे यह तय हो गया था कि जवानों की हत्या करने वाला मिलिट्री स्टेशन के अंदर का ही है।
पुलिस को शुरुआत से गनर नागा सुरेश और गनर देसाई मोहन पर शक था। पुलिस ने इन दोनों जवानों समेत 4 जवानों से पूछताछ की थी। इनके अलावा सेना ने करीब 1 दर्जन जवानों को बयान दर्ज कराने के लिए नोटिस जारी किया गया। पूछताछ के दौरान पुलिस का शक चश्मदीद देसाई मोहन पर गहराता गया। इसके बाद पुलिस ने उससे कड़ाई से पूछताछ की। पूछताछ में उसने साथी जवानों की हत्या की बात कबूल ली। इसके बाद सोमवार (17 अप्रैल 2023) को उसे गिरफ्तार कर लिया गया। कथित तौर पर मोहन ने कहा है कि उत्पीड़न के चलते उसने इस वारदात को अंजाम दिया।
क्या है मामला
12 अप्रैल 2023 की सुबह बठिंडा मिलिट्री स्टेशन में फायरिंग कर 4 जवानों की हत्या कर दी गई थी। सभी जवान 80 मीडियम रेजिमेंट के थे। घटना का एकमात्र चश्मदीद देसाई मोहन था। उसने दावा किया था कि सफेद कुर्ता-पजामा पहने दो नकाबपोश आए और गोलियाँ बरसाने लगे। साथ ही कुल्हाड़ी से हमले की बात भी कही थी।