Sunday, November 17, 2024
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दिल्ली का बॉस कौन, सुप्रीम कोर्ट ने खींच दी लकीर: पुलिस-कानून व्यवस्था-जमीन केंद्र की, ट्रांसफर-पोस्टिंग सहित बाकी सब NCT सरकार की

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "प्रशासन चलाने की असल शक्ति निर्वाचित सरकार के पास होनी चाहिए। अगर संवैधानिक रूप से चुनी गई सरकार को ये अधिकार नहीं मिलते तो जवाबदेही के लिए ट्रिपल चेन का सिद्धांत निरर्थक हो जाएगा।"

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की प्रशासनिक सेवाओं पर नियंत्रण के अधिकार के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट ने आज (11 मई 2023) अपना फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि दिल्ली की प्रशासनिक सेवाओं पर दिल्ली में चुनी गई सरकार का अधिकार होगा। इसके अलावा अधिकारियों की पोस्टिंग और ट्रांसफर से जुड़े निर्णय भी दिल्ली सरकार कर पाएगी। वहीं केंद्र का अधिकार दिल्ली में व्यवस्था, पुलिस और जमीन से जुड़े मामलों में रहेगा।

दिल्ली की आम आदमी पार्टी और एलजी विनय कुमार सक्सेना के बीच चल रहे विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एमआर शाह, जस्टिस कृष्णा मुरारी, जस्टिस हीमा कोहली और जस्टिस पीएमस नरसिम्हा ने सर्वसम्मति से अपना फैसला सुनाया।

पीठ ने कहा राज्य के पास भी शक्ति है, लेकिन राज्य की कार्यकारी शक्ति, संघ के मौजूदा कानून के अधीन होगी। कोर्ट ने कहा कि वो साल 2019 के जस्टिस भूषण के फैसले से सहमत नहीं है। प्रशासन चलाने की असल शक्ति निर्वाचित सरकार के पास होनी चाहिए। अगर संवैधानिक रूप से चुनी गई सरकार को ये अधिकार नहीं मिलते तो जवाबदेही के लिए ट्रिपल चेन का सिद्धांत निरर्थक हो जाएगा।

अदालत ने यह भी कहा कि अगर अधिकारी मंत्रियों को रिपोर्ट करना बंद कर देते हैं या उनके निर्देशों का पालन नहीं करते हैं, तो सामूहिक जिम्मेदारी का सिद्धांत प्रभावित होता है। अधिकारियों को लगता है कि वे सरकार के नियंत्रण से अछूते हैं, जो जवाबदेही को कम करेगा और शासन को प्रभावित करेगा।

इस फैसले के साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा दिल्ली में पब्लिक ऑर्डर, पुलिस और लैंड पॉवर एलजी के पास ही रहेगी। ऐसा इसलिए क्योंकि दिल्ली अन्य केंद्रशासित प्रदेशों जैसा प्रदेश नहीं है। कोर्ट ने कहा कि दिल्ली विधानसभा के पास भूमि, लोक व्यवस्था और पुलिस को छोड़कर सूची 2 में सभी विषयों पर कानून बनाने की शक्ति है।

बता दें कि दिल्ली सरकार और केंद्र के बी कामकाज के अधिकार को लेकर विवाद पुराना है। इस संबंध में एक फैसला 4 जुलाई 2018 को भी आया ता। हालाँकि सर्विसेज और अधिकारियों पर नियंत्रण जैसे मुद्दों को आगे की सुनवाई पर छोड़ दिया गया था। इसके बाद राजधानी दिल्ली में प्रशासनिक सेवाएँ के नियंत्रण का अधिकार किसके पास रहेगा इस पर एक फैसला साल 2019 में आया। लेकिन तब पीठ के दोनों जजों के मत अलग-अलग थे। आगे यह मामला मुख्य न्यायाधीश को रेफर किया गया ताकि तीन जजों की बेंच गठित हो सके। अंत में यह मामला पाँच जजों की पीठ ने सुना और 18 जनवरी 2023 को फैसला सुरक्षित रख लिया।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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