भारत की संसद (Parliament) के नवनिर्मित भवन का लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) 28 मई 2023 को करेंगे। इसी दिन वीर सावरकर के विख्यात विनायक दामोदर सावरकर (Vinayak Damodar Savarkar) की जयंती भी है। सावरकर का जन्म 28 मई 1883 को हुआ था और इस साल 28 मई को उनकी 140वीं जयंती है।
गुरुवार (18 मई 20223) को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला (Om Birla) ने PM मोदी से मुलाकात की थी। इस मुलाकात के दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री को भवन के उद्घाटन के लिए आमंत्रित किया था। लोकसभा सचिवालय ने नए संसद भवन को आत्मनिर्भर भारत की एक नई पहचान बताया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों ने 5 अगस्त 2019 में संसद के नए भवन की माँग रखी थी। इसके बाद नए संसद भवन का शिलान्यास पीएम मोदी द्वारा 10 दिसंबर 2020 को किया गया था। यह भवन 4 मंजिला है, जिसमें 1224 सांसदों के बैठने की व्यवस्था है। वर्तमान भवन में लोकसभा में 550 और राज्यसभा में 250 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था है।
नया संसद भवन पुरानी बिल्डिंग से 17,000 वर्गमीटर बड़ा है। इस भवन में लोकसभा के 888 और राज्यसभा के 384 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था है। लोकसभा चेंबर में ही दोनों सदनों का संयुक्त सत्र भी होगा। नए संसद भवन में अत्याधुनिक तकनीक वाले उपकरण लगाए गए हैं। इसके साथ यहाँ सुरक्षा में तैनात मार्शलों की ड्रेस भी अब दूसरी होगी।
पुराना संसद भवन 47,500 वर्गमीटर में है, जबकि नया भवन 64,500 वर्गमीटर में बनी है। वास्तुकार बिमल पटेल द्वारा बनाए गए नए भवन में 3 दरवाजे हैं, जिन्हें ज्ञान द्वार, शक्ति द्वार और कर्म द्वार के नाम से जाना जाएगा। इसमें सांसदों और वीआईपी के लिए अलग प्रवेश द्वार है। इस पर भूकंप का असर नहीं होगा।
इसमें पुस्तकालय, कैफेटेरिया आदि की भी व्यवस्था है। नए भवन में दिव्यांगों को भी आने में आसानी होगी। सेन्ट्रल लाउंज में भारत का राष्ट्रीय वृक्ष अशोक भी लगाया गया है। कहा जा रहा है कि यह भवन भारत की सांस्कृतिक और परम्पराओं का आईना है। इस भवन के आसपास कई पेड़ लगाए जाएँगे, जो लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूकता का संदेश देंगे।
नए संसद भवन का सबसे बड़ा हॉल संविधान हॉल है। कहा जा रहा है कि इसमें संविधान की मूल प्रति रखी जाएगी। इसके अलावा इसमें महात्मा गाँधी, जवाहरलाल नेहरू, सुभाषचंद्र बोस सहित देश के सभी प्रधानमंत्रियों की बड़ी तस्वीरें भी लगाई गई हैं। बताते चलें कि सेंट्रल विस्टा कॉरिडोर में नए संसद भवन के अलावा प्रधानमंत्री आवास एवं कार्यालय, केंद्रीय सचिवालय और उपराष्ट्रपति का आवास शामिल है।
सितम्बर 2020 में नए संसद भवन को बनाने का ठेका टाटा प्रोजेक्ट को दिया गया था। शुरुआत में नए संसद भवन को बनाने की लागत 861 करोड़ रुपए आँकी गई थी। हालाँकि, बाद में यह लागत बढ़कर 1200 करोड़ रुपए तक पहुँच गई। तिकोने आकार के नए संसद भवन का निर्माण 15 जनवरी 2021 को शुरू हुआ था। इसका अधिकांश काम पूरा हो चुका है।
सन 1927 में बना वर्तमान संसद भवन लगभग 100 साल पुराना है और इसे सरकार ने हेरिटेज बिल्डिंग बताया है। सरकार के मुताबिक, अब सदन में काम करने वाले सदस्यों से लेकर बाहर से आने वाले आगंतुकों की संख्या बढ़ी है। सरकार का यह भी मानना है कि पुराने भवन के आकार और डिजाइन की वजह से उसमें आधुनिक तकनीक के उपकरण लगाने सम्भव नहीं थे।
मार्च 2023 में PM मोदी ने इस संसद का आकस्मिक निरीक्षण किया था। तब उन्होंने इसे बनाने वाले मजदूरों से भी बात की थी। हालाँकि, कॉन्ग्रेस ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत बनने वाले इस निर्माण की आलोचना की थी। कॉन्ग्रेस नेता जयराम रमेश ने इसे पैसे की बर्बादी बताया था।