जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने कॉन्ग्रेस से बजरंग दल को प्रतिबंधित करने का वादा पूरा करने को कहा है। ऐसा नहीं होने पर आगामी चुनावों में मुस्लिमों का समर्थन नहीं मिलने की चेतावनी भी दी है। कर्नाटक विधानसभा चुनाव के दौरान कॉन्ग्रेस ने प्रतिबंधित कट्टरपंथी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) से बजरंग दल की तुलना करते हुए उस पर बैन की बात कही थी। हालाँकि बाद में पार्टी इससे पलट गई और हर जिले में बजरंग बली का मंदिर बनाने का वादा किया था।
अब कर्नाटक में कॉन्ग्रेस की सरकार बनने के बाद जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष सैयद अरशद मदनी ने उसे उसका वादा दिलाया है। एबीपी न्यूज को दिए इंटरव्यू में मदनी ने कहा कि कर्नाटक में कॉन्ग्रेस को 90-100 प्रतिशत मुस्लिमों ने वोट दिया। अब कर्नाटक की कॉन्ग्रेस सरकार अपना वादा पूरा करे और बजरंग दल पर बैन लगाए। उन्होंने कहा, “कॉन्ग्रेस को अब अपना वादा निभाना चाहिए। कॉन्ग्रेस को बजरंग दल और अन्य फिरकापरस्त (साम्प्रदायिक) ताकतों पर बैन लगाना चाहिए। यदि कॉन्ग्रेस ने ऐसा नहीं किया तो आने वाले चुनावों में मुस्लिम कॉन्ग्रेस पर भरोसा नहीं करेंगे।”
इंटरव्यू के दौरान मदनी ने स्वतंत्र भारत में दंगों का जिम्मेदार भी कॉन्ग्रेस को बताया। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि 1956-57 के दौरान जबलपुर में दंगे हुए। इसके बाद देश भर में 20 हजार से ज्यादा दंगे-फसाद हुए। उस वक्त कॉन्ग्रेस की हुकूमत थी। किसी दंगाई को सजा नहीं हुई। कॉन्ग्रेस की लचर पॉलिसी की वजह से ऐसा हुआ।
मदनी ने कॉमन सिविल कोड (UCC) को बहुसंख्यकों का कानून बताया है। कहा है कि मुस्लिम अपने मजहब का कानून छोड़कर गवर्मेंट द्वारा बनाए गए बहुसंख्यकों के कानून को मानने के लिए तैयार नहीं हैं। उन्होंने मोदी सरकार पर नफरत फैलाने का भी आरोप लगाया। यह पूछे जाने पर कि वे मोदी के पास अपने मसलों के लेकर क्यों नहीं जाते, मदनी ने कहा, “मुझे पता है कि अपनी नफरत के आगे वो हमलोगों की नहीं सुनने वाले। अगर वो बुलाएँगे तो मैं जाऊँगा।” साथ ही यह भी कहा कि बीजेपी यदि नफरत की पॉलीसी छोड़ दे तो मुस्लिम भी उसकी तरफ जाएँगे।