जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ में स्थित कुछ मदरसों का प्रशासन केंद्रशासित प्रशासन द्वारा अपने हाथ में लेने के निर्णय को हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है। जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख हाईकोर्ट ने कहा कि पिछले महीने आए आधिकारिक आदेश को सभी संस्थानों पर सार्वभौमिक रूप से लागू नहीं किया जा सकता है।
मौलाना अली मियां एजुकेशनल ट्रस्ट, भटिंडी द्वारा संचालित मदरसों का प्रबंधन अपने हाथ में लेने के लिए जम्मू के मंडलायुक्त ने 14 जून 2023 को आदेश जारी किया था। इस आदेश के तहत कई मदरसों पर कार्रवाई की गई।
इस आदेश का हवाला देते हुए हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति संजीव कुमार ने कहा कि यह आदेश याचिकाकर्ताओं द्वारा संचालित मदरसों पर लागू नहीं किया जा सकता है। उनका मौलाना अली मियां एजुकेशनल ट्रस्ट, भटिंडी से कोई लेना-देना नहीं है।
किश्तवाड़ के अतिरिक्त उपायुक्त ने 3 जुलाई 2023 के मदरसों के संचालकों को संबंधित तहसीलदारों के माध्यम से मदरसे का कब्जा प्रशासन को सौंपने का निर्देश दिया था। इसके बाद याचिकाकर्ता राज अली एवं अन्य ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
याचिका में कहा गया कि जम्मू के बठिंडी में मौलाना अली मियां एजुकेशनल ट्रस्ट विदेशी संस्थाओं से मिले पैसों का दुरुपयोग करता था, जिसके चलते जम्मू के डिवीजनल कमिश्नर ने पिछले एक आदेश जारी कर ट्रस्ट का प्रबंधन अपने हाथ में लेने का आदेश दिया था। याचिकाकर्ता का कहना है कि इससे उसका कोई लेना-देना नहीं है।
सरकारी वकील ने भी कहा कि याचिकाकर्ता का ट्रस्ट मौलाना अली मियां एजुकेशनल ट्रस्ट से अलग है। दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति संजीव कुमार ने कहा कि किश्तवाड़ के अतिरिक्त उपायुक्त द्वारा जम्मू के संभागीय आयुक्त को दिए गए आदेश को सभी मदरसों पर लागू करना सही नहीं था।
आदेश को रद्द करते हुए हाईकोर्ट ने कहा, “यह आदेश केवल मौलाना अली मियां एजुकेशनल ट्रस्ट द्वारा संचालित मदरसों पर लागू होता है। इसे यूटी में वैध रूप से चलाए जा रहे सभी मदरसों पर सार्वभौमिक रूप से लागू नहीं किया जा सकता है।”