भारतीय वायुसेना ने एक नया कारनामा कर के इतिहास रच दिया है। हाल ही में वायुसेना ने देश के सबसे ऊँचे हवाईअड्डों में से एक- पाक्योंग एयरपोर्ट पर अपना परिवहन विमान AN-32 को उतार कर नया कीर्तिमान स्थापित किया। यह एयरपोर्ट सामरिक रूप से भी भारत के लिए काफ़ी महत्वपूर्ण है। भारतीय वायुसेना (IAF) के ‘Antonov-32 (AN- 32)’ ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट को पाक्योंग एयरपोर्ट पर सफलतापूर्वक लैंड कराया गया। यह एयरपोर्ट भारत-चीन सीमा से सिर्फ 60 किमी की दूरी पर स्थित है। राजधानी गंगटोक से इसकी दूरी क़रीब 16 किमी है।
IAF के एक उच्चाधिकारी ने इस बारे में विशेष जानकारी देते हुए बताया:
“यह इस एयरफील्ड पर एएन -32 श्रेणी के विमानों द्वारा पहली लैंडिंग है, जो भारत के उच्चतम हवाई अड्डों में से एक है।”
विमान के क्रू का नेतृत्व कमांडर एसके सिंह ने किया। एयरक्राफ्ट में सैन्य स्क्वाड्रोन्स में कुल 43 जवान शामिल थे। बता दें कि सितम्बर 2018 में प्रधानमंत्री मोदी ने सिक्किम के इस पहले एयरपोर्ट का उद्घाटन किया था। समुद्र तल से 4,500 फ़ीट की ऊँचाई पर स्थित पाक्योंग देश का 100वाँ एयरपोर्ट है। पिछले वर्ष वायुसेना ने अपने ‘Dornier-128’ विमान को इस एयरपोर्ट पर उतारा था। इस से पहले कई बार उसे यहाँ उतारने की कोशिश की गई थी लेकिन मौसम के कारण स्थगित करना पड़ा था।
In the Pakyong Airport, Sikkim gets its first airport and India its one hundredth. Today is a momentous day for the aviation sector.
— Narendra Modi (@narendramodi) September 24, 2018
Delighted to have inaugurated the airport in Sikkim. Come, visit Sikkim and experience the beauty and hospitality of the state! pic.twitter.com/fZ6ZxIitRj
वायुसेना द्वारा 1.7 किमी रनवे वाले इस हवाई अड्डे पर विमान उतारने के पीछे वहाँ स्थित सैनिकों और उसकी सामग्री की गतिशीलता को बढ़ावा देना है। इस से पहले 14 जनवरी को अरुणाचल प्रदेश के तेजू हवाई अड्डे पर भी C-130J विमान को उतरा गया था।
भारत-चीन सीमा पर तनाव को देखते हुए यह एक सुखद समाचार है क्योंकि क्षेत्र भारतीय सेना की गतिशीलता जितनी सुगम होगी, सीमा की सुरक्षा भी उतनी ही मज़बूत होगी। हाल ही में अमेरिका ने भी इस बात का अंदेशा जताया है कि भारत और चीन में सीमा विवाद को लेकर तनाव बना रहेगा। चीन भी सीमा से सटे अपने इलाकों में इंफ़्रास्ट्रक्चर बढ़ाने का कार्य तेज़ी से कर रहा है। इसे मद्देनज़र रखते हुए भारत ने भी क्षेत्र में विकास कार्यों को नई गति दी है। दोकलाम गतिरोध के बाद भारत लगातार उत्तर-पूर्व के राज्यों में पर्यटन और ट्रांसपोर्टेशन को बढ़ावा दे रहा है।