अमेरिकी कारोबारी और आईटी कंसल्टिंग फर्म थॉटवर्क्स के पूर्व अध्यक्ष नेविल रॉय सिंघम इस साल अगस्त में सुर्खियों में आ गए थे। ‘न्यूयार्क टाइम्स’ की रिपोर्ट के बाद वो भारतीय वेबसाइट ‘न्यूज़क्लिक’ सहित चीन के एजेंडे का मीडिया प्रोपेगंडा फ़ैलाने वाले समूहों को फंडिंग के लिए जाँच के दायरे में आए थे।
‘द न्यूयार्क टाइम्स’ ने अमेरिकी और ब्रिटिश कार्यकर्ताओं के चलाए जाने वाले सामूहिक अभियान ‘नो कोल्ड वॉर’ को लेकर लिखा कि ये प्रचार करता है कि चीन के खिलाफ पश्चिम की बयानबाजी ने जलवायु परिवर्तन और नस्लीय अन्याय जैसे मुद्दों से ध्यान भटका दिया है। वास्तव में, NYT की जाँच में पाया गया कि ये तगड़ी फंडिग के जरिए प्रभाव डालने वाले एक अभियान का हिस्सा है जो चीन का बचाव करता है। इसके एजेंडे को बढ़ावा देता है।
इसके केंद्र में अमेरिकी करोड़पति नेविल रॉय सिंघम का नाम निकल सामने आया। उसे वामपंथी एजेंडे को आगे बढ़ाने वाले के रूप में जाना जाता है। ये व्यक्ति गैर-लाभकारी समूहों (NGO) और शेल कंपनियों (यानी केवल कागजों पर चलने वाली कंपनियों) की घपलेबाजी के बीच छिपकर काम करता है। सिंघम गुप्त तरीके से चीनी सरकारी मीडिया मशीनरी के साथ मिलकर काम करता है और दुनिया भर में उसके प्रचार के लिए फंडिंग कर रहा है।
‘द टाइम्स ने मैसाचुसेट्स’ में एक थिंक-टैंक से लेकर मैनहट्टन में एक कार्यक्रम स्थल तक, दक्षिण अफ्रीका में एक राजनीतिक दल से लेकर भारत और ब्राजील में समाचार संगठनों तक सिंघम से जुड़े समूहों के सैकड़ों मिलियन डॉलर को ट्रैक किया। ये सभी तरक्की की सिफारिश में चीनी सरकार के नज़रिए को बढ़ावा देते हैं और इस सबके पीछे एक ही नाम सिंघम सामने आया। यहाँ जानते हैं कि पूरी दुनिया में चीन का प्रचार करने वाला ये शख्स आखिर कौन है।
श्रीलंकाई राजनीतिक के घर हुए पैदा
नेविल रॉय सिंघम के पिता आर्चीबाल्ड सिंघम एक श्रीलंकाई राजनीतिक वैज्ञानिक और इतिहासकार थे। वो न्यूयॉर्क के सिटी यूनिवर्सिटी के ब्रुकलिन कॉलेज में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर थे। वह कैरेबियन में अधिकारी था और गुटनिरपेक्ष आंदोलन में भागीदार थे। इन्हीं के घर 1954 में नेविल रॉय का जन्म हुआ था। नेविल रॉय अपनी युवावस्था में लीग ऑफ़ रिवोल्यूशनरी ब्लैक वर्कर्स एक काले राष्ट्रवादी-माओवादी समूह का सदस्य था।
उन्होंने साल 1972 में समूह में एक कार्यकर्ता के रूप में डेट्रॉइट में क्रिसलर प्लांट में नौकरी की थी। अपने शिकागो के घर से 1993 में आईटी परामर्श फर्म थॉटवर्क्स शुरू करने से पहले नेविल ने हावर्ड विश्वविद्यालय में दाखिला लिया। यहाँ से उसने अर्थशास्त्र की पढ़ाई की थी। ये फर्म कस्टम सॉफ्टवेयर, सॉफ्टवेयर टूल और परामर्श सेवाएँ देती हैं।
जब बना थॉटवर्क्स दुनिया में नंबर वन
नेविल रॉय सिंघम ने 2001 से 2008 तक हुआवै के लिए एक रणनीतिक तकनीकी सलाहकार के तौर पर काम किया। उसके नेतृत्व में थॉटवर्क्स अपने क्षेत्र में दुनिया में अग्रणी बनकर उभरा।
साल 2009 में फॉरेन पॉलिसी मैग्जीन के ‘टॉप 50 ग्लोबल थिंकर्स’ की सूची में सिंघम को पहचान मिली। हालाँकि, नेविल रॉय सिंघम ने एक्टिविस्ट जोडी इवांस के साथ 2017 में शादी कर ली और उन्होंने अपनी टेक कंपनी बेच दी। हाल के दिनों में सिंघम तेजी से राजनीतिक तौर पर सक्रिय हुए और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के एक अहम पैरोकार के रूप में उभर रहा है। 69 साल के सिंघम खुद शंघाई में बैठते हैं, जहाँ शहर के प्रचार विभाग की फंडिंग से उनके नेटवर्क का एक आउटलेट यूट्यूब शो तैयार कर रहा है।
जुलाई 2023 में सिंघम ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पार्टी को बढ़ावा देने वाली एक कम्युनिस्ट पार्टी वर्कशॉप में शिरकत की थी।
न्यूज़क्लिक को भी दिया फंड
‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ (NYT) की जाँच मुताबिक, सिंघम के नेटवर्क ने कथित तौर पर दिल्ली की न्यूज समाचार वेबसाइट ‘न्यूज़क्लिक’ को भी फंडिंग की। इसने चीनी सरकार की बातों को अपने कवरेज में शामिल किया। सामूहिक सामग्री में ऐसे वीडियो शामिल थे जो यह दावा करते थे कि ‘चीन का इतिहास श्रमिक वर्गों को प्रेरित करता रहा है।’ NYT की रिपोर्ट में बताया गया कि इसमें सिंघम की केंद्रीय भूमिका है। जिस तरह से नेविल सिंघम ने चीन के प्रचार को पीछे के दरवाजे से दुनिया में पहुँचाने की जुगत भिड़ाई है, उसे कम्युनिस्ट पार्टी के अधिकारी ‘स्मोकलैस वॉर’ का नाम देते हैं।
शी जिनपिंग के नेतृत्व के दौरान चीन ने अपने राज्य मीडिया असर को बढ़ावा दिया है। इसके तहत अंतरराष्ट्रीय मीडिया आउटलेट्स के साथ गठबंधन किया है। इसके जरिए चीन ने छुपे तौर पर अपने नजरिए का प्रचार-प्रसार करने के लिए विदेशी प्रभावशाली लोगों को तैयार किया है।
प्रवर्तन निदेशालय के नेतृत्व में साल 2021 में एक जाँच से पता चला कि मीडिया प्लेटफॉर्म ‘न्यूज़क्लिक‘ को 38 करोड़ रुपए की विदेशी धनराशि मिली थी। इसके तार आखिरकार अमेरिकी करोड़पति सिंघम से जुड़े। NYT की जाँच के मुताबिक, चीन अपने प्रचार तंत्र के जरिए अपने मानवाधिकारों के उल्लंघन के संबंध में अंतरराष्ट्रीय निंदा से खुद को बचाने में कामयाब रहा है और इसमें सिंघम का भी बड़ा हाथ है।
सिंघम का कहना है कि वह चीनी सरकार के निर्देश पर काम नहीं करता है। लेकिन, उसके और चीनी प्रचार तंत्र के बीच की रेखा इतनी धुँधली है कि वह एक ऐसी कंपनी के साथ अपने दफ्तर की जगह साझा ही नहीं करते बल्कि उनके ग्रुप में चीन के स्टाफ मेंबर होते हैं। इन लोगों का मकसद विदेशियों को ‘उन चमत्कारों के बारे में पढ़ाना होता है जो चीन ने वैश्विक मंच पर किए हैं।’