भारतीय प्रोद्योगिकी संस्थान (IIT) मुंबई ने मेस में ‘केवल शाकाहारी’ खाने की मेज पर मांस खाने वाले छात्रों में से एक पर ₹10,000 का जुर्माना लगाया है। सितम्बर के अंत में कुछ छात्रों ने जबरदस्ती इन मेजों पर मांस खाया था और शाकाहारी मेजों को अलग करने को लेकर विरोध प्रदर्शन किया था।
IIT ने जुर्माना लगाने का यह निर्णय 1 अक्टूबर को हुई एक बैठक के बाद लिया है। जानबूझ कर मांस खाने और धरने में शामिल होने वाले अन्य छात्रों की तलाश की जा रही है।
IIT मुंबई में हॉस्टल 12, 13 और 14 की मेस काउंसिल ने बीते सप्ताह मेस के भीतर 6 खाने की मेजों को ‘केवल शाकाहारी’ खाना खाने के लिए आरक्षित किया था। मेस में बैठने की आम जगह में शाकाहारियों के लिए खाने की मेजों को अलग करने के निर्णय के विरोध में कुछ छात्र ‘धरने’ पर बैठ गए थे।
इन छात्रों का कहना था कि शाकाहारी खाने वालों को अलग से मेजें नहीं दी जानी चाहिए। इस मामले की मेस समिति ने जाँच करके यह बताया कि विरोध करने वाले छात्र संस्थान का माहौल जानबूझ कर खराब करना चाहते हैं। इसी को लेकर संस्थान ने यह अजीब माँग करने वाले एक छात्र पर ₹10,000 का जुर्माना लगाया है। वहीं दो अन्य छात्रों की तलाश भी जारी है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस निर्णय के संबंध में हॉस्टल प्रबन्धक ने छात्र को इमेल के माध्यम से यह सूचना दी है कि उस पर ₹10,000 का जुर्माना लगाया गया है। यह धनराशि उसके स्पेशल मेंशन अकाउंट से काटी जाएगी।
रिपोर्ट के अनुसार, IIT मुंबई ने छात्रों को भेजे गए एक इमेल में कहा, “कुछ लोग अपने खाने की जगह पर मांसाहारी खाने की गंध बर्दाश्त नहीं कर सकते और इससे स्वास्थ्य सम्बंधित समस्याएँ भी हो सकती हैं। हमारा लक्ष्य है कि यहाँ खाना खाने वाले हर छात्र को अच्छा अनुभव हो।”
इसी कारण से हमने खाने की सार्वजनिक जगह में से मात्र 6 मेजें शाकाहारी खाने के लिए आरक्षित की थी। इन मेजों पर स्पष्टतया लिखा होगा, “यह जगह केवल शाकाहारी खाना खाने वालों के लिए आरक्षित है।”
Food segregation can be termed as "inclusive" only by the true followers of Manu who reign in power in the institutes like IIT. We condemn this tyrannical decision of the admin and urge to reverse the regressive policy immediately.
— APPSC IIT Bombay (@AppscIITb) October 2, 2023
IIT मुंबई में दलित छात्रों के प्रतिनिधित्व का दावा करने वाली एक संस्था ‘आंबेडकर-पेरियार-फूले स्टडी सर्कल(APPSC)’ ने कहा है कि संस्थान का यह निर्णय खाप पंचायतों जैसा है जो कि छुआछूत को बचाने का प्रयास करते हैं। खाने की जगहों को अलग-अलग रखने का निर्णय मनु के किसी अनुयायी को ही सही लग सकता है।