न सिर्फ अराजकतावादी लोगों को अब ये कहने का मौका मिल गया है कि संसद द्वारा पारित कानून गलत है, बल्कि आगे अब किसी के पास 2000 की भीड़ हो तो वो सरकारों को झुका सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने संसद से बनाए कानून पर रोक लगाने की बात कही है, ऐसे में यह देखना है कि क्या यह न्यायपालिका द्वारा विधायिका के कार्यक्षेत्र का अतिक्रमण नहीं है?
भले ही दक्षिणपंथी ट्रम्प के समर्थकों ने अमेरिकी संसद पर हमला कर दिया, पर आज मैं आह्लादित हूँ कि उनमें से एक के हाथों में तिरंगा भी था। अब मैं आराम से उस तिरंगाधारी को RSS का ब्राह्मणवादी, पितृसत्तात्मक, भगवा आतंकी बोल कर, अपने लिब्रांडू समाज के व्हाट्सएप्प ग्रुपों में छा जाऊँगा।
मैं वो फेसबुकिया चिरकुट हूँ जिसे यह नहीं पता कि दूध जानवर से मिलता है न कि मदर डेयरी से, पर मैं वैश्विक मुद्दों पर सबसे पहले प्रोफाइल पिक्चर बदल कर काला कर लेता हूँ।
वामपंथियों की पूरी लॉबी विदेशी वैक्सीन बिकवाने के लिए भारत बायोटेक के बेहतर वैक्सीन को ले कर भ्रम फैला रही है कि सही तरीके से नहीं मिली अनुमति, जबकि सच कुछ और ही है