Friday, November 22, 2024
104 कुल लेख

ओम द्विवेदी

Writer. Part time poet and photographer.

ज्वाला देवी मंदिर: अनंतकाल से प्रज्वलित ज्वालाएँ, अकबर ने जिसे हिंदू घृणा के कारण बुझाने की कोशिश की, हुई थी हार

अंग्रेजों ने भी उस ऊर्जा का पता लगाने का बहुत प्रयास किया, जिसके कारण हिमाचल प्रदेश के ज्वाला देवी मंदिर में ये ज्वालाएँ कई वर्षों से...

पंजशीर की जमीन, जासूसों का नेटवर्क, नॉर्दर्न अलायंस के फाइटर: क्या तालिबान की कब्र खोद पाएँगे अमरुल्लाह सालेह

जब राष्ट्रपति भाग चुके हैं, फौज घुटने टेक चुकी है, अफगान नागरिक किसी भी तरह मुल्क से निकलना चाहते हैं, सालेह ने तालिबान के आगे झुकने से इनकार कर दिया है। पर क्या वे खुद को 'पंजशीर का नया शेर' साबित कर सकेंगे?

जाना था बनारस पर स्वप्न में आईं भगवती, प्राण-प्रतिष्ठा के लिए जुटे 1 लाख से अधिक ब्राह्मण: कोलकाता का दक्षिणेश्वर काली मंदिर

कोलकाता में हुगली नदी के तट पर स्थित दक्षिणेश्वर काली मंदिर अपनी अद्भुत संरचना के लिए प्रसिद्ध है। इसका निर्माण एक विधवा ने कराया था।

एक मंदिर जिसे ध्वस्त करने आए औरंगजेब को गर्भगृह से भागना पड़ा था, जिसके लिए नर्मदा ने बदली अपनी दिशा

जबलपुर के चौसठ योगिनी मंदिर के गर्भगृह में स्थापित गौरीशंकर की प्रतिमा को खंडित करने जब औरंगजेब पहुँचा तो उसे भागना पड़ा था।

‘काफिरों! तुम्हारा अंत अब ज्यादा दूर नहीं…’: जरा याद उन हिंदुओं को भी कर लो जिनका कत्लेआम डायरेक्ट एक्शन डे के नाम

डायरेक्ट एक्शन डे, एक अलग देश के लिए कम, हिन्दू नरसंहार के लिए आतुर मुस्लिम कट्टरपंथियों के मन में सुलग रही मजहबी इच्छा का दिन था।

स्तंभेश्वर महादेव: कार्तिकेय ने की थी स्थापना, दिन में दो बार आँखों से ओझल हो जाता है मंदिर

गुजरात के वडोदरा से 75 किमी दूर कावी-कमोई गाँव में स्थित स्तंभेश्वर महादेव मंदिर की स्थापना भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय ने की थी।

कैलाशनाथ मंदिर जिसे कहा गया ‘कांची का महान रत्न’: जिसकी प्रेरणा से हुआ बृहदेश्वर और विरुपाक्ष जैसे मंदिरों का निर्माण

तमिलनाडु के कांचीपुरम का कैलाशनाथ या कैलाशनाथर मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर का निर्माण भगवान शिव, भगवान विष्णु, देवी, सूर्य, गणेश जी और कार्तिकेय की उपासना करने के लिए बनाया गया था।

कोडुंगल्लूर भगवती मंदिर: देवी के लिए अपशब्दों-गालियों से भरे गीत, मंदिर की छत को पीटा जाता लाठी-डंडों से

आदि शंकराचार्य ने भी केरल के कोडुंगल्लूर भगवती मंदिर की यात्रा की थी। यहाँ उन्हें एक अत्यंत प्रभावशाली शक्ति का आभास हुआ था।