Friday, November 22, 2024
104 कुल लेख

ओम द्विवेदी

Writer. Part time poet and photographer.

Deepfake से महिलाओं के फोटो-वीडियो बदले जा रहे न्यूड और पोर्न में, इस AI के आगे बेबस सिक्योरिटी एक्सपर्ट

समस्या यह है कि साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट्स भी इस Deepfake तकनीक को लेकर असमर्थ हैं। सेलिब्रिटी के फोटो और वीडियो को न्यूड में बदलने को लेकर शुरू हुई यह तकनीक अब आम महिलाओं के जीवन में भूचाल ला सकती है।

कासगंज के वनखंडेश्वर महादेव: चोर ले गए शिवलिंग, मरने लगे तो थाने पहुँचाया… पुलिस को ₹8 लाख देकर लौटे मंदिर

UP के कासगंज के वनखंडेश्वर महादेव मंदिर के विषय में कोई पुख्ता प्रमाण नहीं है लेकिन स्थानीय लोग यहाँ स्थापित दिव्य शिवलिंग को भागीरथ के...

विदिशा विजय मंदिर: औरंगजेब ने जिसे उड़वाया तोपों से… अब उसी डिजाइन वाली नई संसद में बैठेंगे सभी धर्मों के सांसद

विदिशा के विजय मंदिर की विशालता के कारण मुगल आक्रांता औरंगजेब ने इसे तोप से उड़वा दिया था। अनेकों इस्लामी आक्रमणों के बाद आज भी...

हसनंबा मंदिर: जलता दीपक, ताजे फूल और प्रसाद… 1 साल बाद भी उसी रूप में… चमत्कार जो खटक रहे क्रिश्चियन मिशनरी को

कर्नाटक के हासन जिले में है हसनंबा मंदिर जो अपने चमत्कारों के लिए ही पूरे भारत में विख्यात है। श्रृद्धालुओं की भक्ति इतनी प्रगाढ़ है कि...

मोढ़ेरा सूर्य मंदिर: भगवान सूर्य की स्वर्ण प्रतिमा को इस्लामी आक्रांता खिलजी ने जब लूटा, तब से नहीं होता पूजा-पाठ

गुजरात के मेहसाणा में स्थित वास्तुकला के बेहतरीन उदाहरण वाले इस रामायण कालीन मोढ़ेरा सूर्य मंदिर को भी उसी कट्टरपंथी इस्लामी मानसिकता ने...

आदि विनायक मंदिर: हाथी वाले नहीं बल्कि मानवमुख वाले गणेश जी हैं विराजमान, श्री राम से है जुड़ा इतिहास

तमिलनाडु के तिरुवरुर में स्थित है भगवान गणेश का आदि विनायक मंदिर, जो भारत ही नहीं अपितु संभवतः पूरी दुनिया का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहाँ...

डूँगरपुर का देव सोमनाथ मंदिर: 108 खम्भों पर टिकी 3 मंजिलें, संरचना ऐसी कि भूकंप भी बेअसर

राजस्थान के डूँगरपुर में स्थित देव सोमनाथ मंदिर, 108 खम्भों पर टिका हुआ है और जिस पर भूकंप के झटकों का भी कोई असर नहीं होता है।

एक मंदिर जिसे इस्लामिक आक्रांताओं ने तोड़ा, जहाँ खिलजी ने इस्लाम नहीं कबूल करने पर कर दी थी 1200 छात्र-शिक्षकों की हत्या

मध्य प्रदेश के धार जिले में स्थित है भोजशाला सरस्वती मंदिर। परमार राजवंश के राजा भोज ने एक महाविद्यालय के तौर पर इसकी स्थापना की थी।