मुस्लिम और ईसाई अपने मजहबी प्रतीकों का उपयोग रक्षा के लिए कर रहे थे। जबकि हिंदुओं की पहचान के लिए अभियान चला। पीले रंग से बड़े अक्षरों में उनकी संपत्तियों पर ‘H’ लिखा गया।
झारखंड स्थित बाबा बैजनाथ के बाद अधिकांश श्रद्धालु बासुकीनाथ मंदिर ही पहुँचते हैं। मान्यता भी है कि जब तक बासुकीनाथ के दर्शन न किए जाएँ तब तक बाबा बैजनाथ की यात्रा अधूरी ही मानी जाएगी।
होली से पहले दंतेवाड़ा के दंतेश्वरी माता मंदिर में नौ दिवसीय फाल्गुन मड़ई नामक त्यौहार का आयोजन होता है। इस त्यौहार के दौरान हर दिन माता दंतेश्वरी की डोली लगभग 250 देवी-देवताओं के साथ नगर भ्रमण पर निकलती हैं।