जिस डॉक्टर के हवाले से इंडियन एक्सप्रेस ने यह दावा किया उसने भी उसकी रिपोर्ट को खारिज कर दिया है। वैसे यह पहला मौका नहीं है जब इस मीडिया संस्थान ने किसी खबर को बेवजह मजहबी रंग देने का प्रयास किया हो।
मैग्जीन ने दावा किया था कि ICMR टास्क फोर्स को मोदी सरकार ने किनारे कर दिया है। टास्क फोर्स के अध्यक्ष विनोद पॉल ने ऑपइंडिया को बताया कि मीडिया की ऐसी हरकतों से, महामारी के इस दौर में, एक राष्ट्रीय स्तर की लड़ाई में हानि ही होती है।
"यह झूठ है। कृपया ऐसे न्यूज पोस्ट न करें, जो इस संकट के समय में लोगों में दहशत पैदा करे। हमें एकत्रित होकर लड़ने की जरूरत है और इस महामारी से अवगत कर लोगों को मदद करनी चाहिए… घबराने की जरूरत नहीं है।"
अब आप समझ जाइए कि जब 'ऑल्टन्यूज़' के कर्ताधर्ता ऐसे काम करते हैं तो उनका प्रोपेगेंडा पोर्टल कैसे चलाया जाता होगा। बैनर पर आमजनों और पशु-पक्षियों को खाना खिलाने की बात स्पष्ट लिखी हुई है फिर भी...
भारत द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने के बाद डोनॉल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात करके मदद माँगी थी ताकि वे अमेरिका अपने देश में कोरोनोवायरस रोगियों की बढ़ती संख्या के इलाज के लिए 'हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन' की गोलियों की बिक्री की अनुमति दे सकें।
आदत से मजबूर सबा नकवी ने एक पुराना विडियो ट्वीट किया और दावा किया कि हिंदू भी बड़े पैमाने पर लॉकडाउन का उल्लंघन कर रहे हैं। विडियो में अयोध्या के मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ दिखाई पड़ रही थी।
जनता कर्फ्यू और प्रधानमंत्री द्वारा लॉकडाउन की घोषणा से काफी पहले दिल्ली में किसी तरह की गैदरिंग पर रोक लगा दी गई थी। तब न ट्रेनों का परिचालन रुका था और न ही बसों। बावजूद इसके नियम-कायदों की धज्जियॉं उड़ाकर जमात के लोग कानून को ठेंगा दिखाते रहे।
सच्चाई ये है कि इस कम्युनिटी किचेन को 'झंडेवालान मंदिर कमिटी' और समाजसेवा संगठन 'सेवा भारती' मिल कर रही है। इसीलिए आजतक ने बाद में हेडिंग को बदल दिया और 'कैसा है केजरीवाल का कम्युनिटी किचेन' की जगह 'कैसा है मंदिर का कम्युनिटी किचेन' कर दिया।
मोदी सरकार को बदनाम करने के लिए क्विंट ने गिरधर ज्ञानी को डॉक्टर बताया। टास्क फ़ोर्स का संयोजक तक बता डाला। जबकि वे ना मेडिकल प्रैक्टिस करते हैं और ना कोई महामारी विशेषज्ञ हैं। यहॉं तक कि ऐसा कोई टास्क फोर्स भी नहीं है जिसका वामपंथी वेबसाइट ने दावा किया।
CNBC-TV18 से बातचीत में विप्रो ने कहा, “यह ऐलान मार्च 2019 में हुआ था। आज ऐसी कोई घोषणा नहीं की गई है।” करीब एक साल पहले मार्च 2019 में जब अजीम विप्रो के चेयरमैन थे, तो उन्होंने अजीम प्रेमजी फाउंडेशन के लिए 52750 करोड़ रुपए दान किया था।