छत्रपति शिवाजी महाराज का अपनी सेना को स्पष्ट आदेश था कि आक्रमण के दौरान महिलाओं-बच्चों और आम लोगों को गिरफ्तार न किया जाए, ब्राह्मणों को परेशान न किया जाए।
हजारों लोगों ने ताली बजा कर उसकी प्रशंसा की, 'वाह-वाह' से कॉन्ग्रेस का सत्र गूँज उठा। खुले सत्र में उसे सम्मानित किए जाने की भी बात की गई। लेकिन, तभी पता चला कि किशन सिंह नामक वो राजपूत युवक RSS से जुड़ा हुआ है।
बख्तियार खिजली को क्लीन-चिट देने के लिए और बौद्धों को सनातन से अलग दिखाने के लिए वामपंथी इतिहासकारों ने नालंदा विश्वविद्यालय को तबाह किए जाने का दोष हिन्दुओं पर ही मढ़ दिया। इसके लिए उन्होंने तिब्बत की एक किताब का सहारा लिया, जो इस घटना के 500 साल बाद लिखी गई थी और जिसमें चमत्कार भरे पड़े थे।