अधर्म का साथ देकर लड़े तो द्रोणाचार्य तक मारे गए, फिर कुकर्मी जरासंध का साथ देकर एकलव्य कैसे महान बन जाता? 'अँगूठा दान' को उस समय के बृहद कूटनीतिक परिप्रेक्ष्य में देखा जाना चाहिए।
छत्रपति शिवाजी महाराज का अपनी सेना को स्पष्ट आदेश था कि आक्रमण के दौरान महिलाओं-बच्चों और आम लोगों को गिरफ्तार न किया जाए, ब्राह्मणों को परेशान न किया जाए।
हजारों लोगों ने ताली बजा कर उसकी प्रशंसा की, 'वाह-वाह' से कॉन्ग्रेस का सत्र गूँज उठा। खुले सत्र में उसे सम्मानित किए जाने की भी बात की गई। लेकिन, तभी पता चला कि किशन सिंह नामक वो राजपूत युवक RSS से जुड़ा हुआ है।