विचार

विवेकानंद का ‘सर्व-धर्म-समभाव’ इस्लाम के लिए एक मौका था, कट्टरपंथियों को सोचना होगा क्यों गँवा दिया

समुदाय विशेष को यह सोचने की ज़रूरत है कि विवेकानंद के 'सर्व-धर्म-समभाव' वाले पन्ने पर क्यों विभाजन की खूनी दास्ताँ लिखी, क्यों मुस्लिम-बहुल कश्मीर को हिन्दू-बहुल भारत का साथ मंज़ूर…

चिदंबरम और अमित शाह का फर्क: एक 9 साल पहले डटा था, दूसरा आज भागा-भागा फिर रहा

सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले में जुलाई 22, 2010 को अमित शाह को सीबीआई ने 1 बजे पेश होने को कहा। समन सिर्फ़ 2 घंटे पहले यानी 11 बजे दिया गया था।…

बात रवीश कुमार के ‘सूत्रों’, ‘कई लोगों से मैंने बात की’, ‘मुझे कई मैसेज आते हैं’, वाली पत्रकारिता की

ये है वामपंथी पत्रकारिता जो खबरों को देखता नहीं, दिखाता नहीं, बल्कि खबरों को बनाता है, मेकअप करता है उनका और तब आपको गंभीर चेहरे के साथ बताता है कि…

अगर चपरासी पूर्व-सांसद से ज्यादा कमाते हैं, तो कॉन्ग्रेसी कब करियर बदल रहे हैं?

7 दिन का यह नोटिस दिए जाने के पहले पूर्व सांसदों को चुनाव हारे लगभग 2 महीने बीत चुके हैं। कम होते हैं 2 महीने बोरिया-बिस्तर समेटने के लिए?

मैं अनुराग ‘समय’ कश्यप हूँ, मुझे हक़ीक़त से क्या, मेरी जिंदगी का एक्के मकसद है – प्रपंच और प्रलाप चलता रहे

प्रगतिशील लिबरल वर्ग का वास्तविक डर संवाद के साधनों का दोतरफा हो जाना है। अब यह संभव नहीं है कि आप टीवी स्क्रीन के पीछे बैठकर इकतरफा अपने कुतर्कों का…

डियर शेहला सबूत तो जरूरी है, वरना चर्चे तो आपके बैग में कंडोम मिलने के भी थे

हम आपकी आजादी का सम्मान करते हैं। लेकिन, नहीं चाहते कि य​ह आजादी उन टुच्चों को भी मिले जो आपके कंडोम प्रेम की अफवाहें फैलाते रहते हैं। बस यही हमारे…

खोखले लिबरलो, वामपंथियो! तुमने ढंग से पत्रकारिता की होती, तो हमारी ज़रूरत ही नहीं पड़ती

पहले तो हमें पत्रकार ही नहीं माना, फिर कहा इनकी भाषा ठीक नहीं है, फिर याद दिलाया कि मर्यादा लाँघ रहे हैं... ये सब इसलिए कि इनकी हर नग्नता, हर…

भारत, धर्म और कानून: ‘आधुनिक’ भारतीय मानस की औपनिवेशिक दासता

हर भारतीय उद्गम का संस्थान कटघरे में खड़ा हो जीवित रहने, अपने अस्तित्व को बचाए रखने के लिए गुहार करता, तर्क-वितर्क करने पर मजबूर दिखता है।

कश्मीरी औरतें जो हवस और जहन्नुम झेलने को मजबूर हैं

दहशतगर्दी के शुरुआती दिनों में आतंकियों को हीरो समझा जाता था। उन्हें मुजाहिद कहकर सम्मान भी दिया जाता था। लोग अपनी बेटियों की शादी इनसे करवाते थे लेकिन जल्दी ही…

नेहरू-शेख की दोस्ती के कसीदों में ही छिपा है कश्मीर का शोकगीत, खुसरो की कविता से नहीं बदलेगा इतिहास

खुसरो की कविताओं से पहले कल्हण की राजतरंगिणी को याद करना जरूरी है, जिसमें कश्मीर को 'कश्यपमेरू' बताया गया है। कहा जाता है कि महर्षि कश्यप श्रीनगर से तीन मील…