लर्नर को यूके ने टेररिस्ट वॉचलिस्ट 'प्रिवेंट' प्रोग्राम के अंतर्गत 'डी रैडिकलाइजेशन' क्लास का हिस्सा बनाया ताकि वो इस्लाम-विरोधी न बनें। लर्नर ने बताया कि इस दौरान उनके साथ एक आतंकी की तरह व्यवहार किया गया। आतंकियों के साथ मुठभेड़ के बाद उनके शरीर पर 80 टाँके लगे थे।
जनरल बाजवा और लेफ्टिनेंट जनरल सरफराज सत्तार के बीच बहस होने की खबर है। सत्तार ने बाजवा पर पाकिस्तानी फौज की छवि खराब करने का आरोप लगाया। बाजवा के रिटायर होने की सूरत में सत्तार आर्मी चीफ के सबसे बड़े दावेदार थे।
पाकिस्तान के एक नेता ने सिखों के खिलाफ विवादित बयान देते हुए करतारपुर कॉरिडोर पर भी विवादित टिप्पणी की है। तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान के संस्थापक और नेता खादिम हुसैन रिज़वी ने एक भाषण में कहा कि जिसे सिखों से ज्यादा प्यार हो वह सरहद पार अमृतसर चले जाएँ।
स्कूल की पढ़ाई अधूरी छोड़ने वाले उस्मान ने कुछ समय पाकिस्तान में भी बिताया था। उसने शुक्रवार को हमला कर दो लोगों की हत्या कर दी थी। बाद में स्कॉटलैंड यार्ड ने उसे मौके पर ही मार गिराया था।
"पाकिस्तान में सिख विरोधी प्रचार जारी है। यह कार्यक्रम सिखों को कार्टून के रूप में दिखाता है, जो सिखों की भावनाओं को बहुत आहत करता है। पाकिस्तान के पीएम इमरान ख़ान इसे न दिखाने का आदेश दें और ऐसे एजेंडा-सेटरों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करें।"
उस्मान खान के आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने को लेकर फरवरी 2012 में उसे 8 साल जेल की सजा सुनाई गई थी। खान लंदन स्टॉक एक्सचेंज पर बमबारी करने की योजना बना रहा था, उसका परिवार पाकिस्तान नियंत्रित कश्मीर में एक आतंकवादी प्रशिक्षण शिविर...
अफ़ग़ानिस्तान के नंगरहार प्रांतीय गवर्नर शाह महमूद मियांखली ने कहा, "पिछले दो सप्ताह में ISIS के 243 आतंकवादी और उनके परिवार के लगभग 400 सदस्य आत्मसमर्पण कर चुके हैं।" पिछले सप्ताह नंगरहार के अचिन ज़िले में सुरक्षा बलों के सामने 51 महिलाओं और 96 बच्चों के साथ 82 सेनानियों ने अपने हथियार सौंप दिए थे।
अक्टूबर में, एक आतंकी को टीवी समाचार रिपोर्ट में सीरियाई नरकहोल जेल की फ़र्श पर धमाके करते देखा गया था। उसे उसके माता-पिता ने भी देखा था। जैक लेट्स नाम के इस शख़्स का फुटेज भी सामने आया था, जिसमें उसने ख़ुद को "ब्रिटेन का दुश्मन" घोषित कर दिया था।
"पाकिस्तान में न तो हिंदू लड़कियों को ज्यादा आजादी है और न ही वहाँ पढ़ाई का अच्छा माहौल है। वहाँ खुलकर जिंदगी नहीं जी जा सकती, इसलिए हम बेटियों की परवरिश के लिए भारत आए। आज नागरिकता पाने के बाद ऐसा लग रहा है जैसे मानों हमारा पुनर्जन्म हुआ हो।"