"मेरा मानना है कि जम्मू और कश्मीर में सुरक्षा की स्थिति में सुधार होगा। यह शरणार्थियों को वापस जाने की अनुमति देगा और अपने जीवनकाल में, आप वापस जाने में सक्षम होंगे... आप अपने घर वापस जा पाएँगे और आपको सुरक्षा मिलेगी, क्योंकि दुनिया में हमारे पास पहले से ही एक मॉडल है।"
दोनों पादरी ने 2005 से 2016 के बीच में अपने कुकर्मों को अंजाम दिया। 2016 में इसका खुलासा हुआ था। कहा जा रहा है कि पोप फ्रांसिस को 2014 की शुरुआत में ही इन पादरियों में से एक पर लगे आरोपों के बारे में जानकारी थी।
लेबर पार्टी की कमान जेरेमी कोर्बिन के पास। कोर्बिन अपने भारत विरोधी रुख और कश्मीर पर पाकिस्तानी एजेंडे को हवा देने के लिए जाने जाते हैं। पिछले महीने कोर्बिन से कॉन्ग्रेस के एक प्रतिनिधमंडल ने भी मुलाकात की थी।
हैरान करने वाली बात ये है कि मृतका का पति भी एक पत्रकार ही है। दोनों ने अपनी मर्जी से (लव मैरेज) निकाह किया था। लेकिन, कुछ ही दिनों में रिश्तों में खटास आ गई।
केरल से युवाओं को आईएस में भेजने वाले अब्दुल्ला ने बड़ी ही चालाकी से अन्य सम्प्रदाय और विचार के लोगों का धर्मांतरण करवाया और फिर उन्हें अपने साथ अफ़ग़ानिस्तान के खोरासन प्रान्त में ले गया। यहाँ तक की उसकी पत्नी सोनिया खुद शादी से पहले ईसाई थी, जिसका नाम बाद में आयशा रख दिया।
बाजवा 29 नवंबर को रिटायर होने वाले थे। लेकिन इमरान ख़ान के नेतृत्व वाली सरकार ने अगस्त में उनका कार्यकाल 3 साल के लिए बढ़ा दिया था। बाजवा नवंबर 2016 में पाक फौज के जनरल बने थे।
इमरान ने पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के विदेश में इलाज कराने को लेकर कथित तौर पर कोर्ट के खिलाफ और चीफ जस्टिस आसिफ सईद पर टिप्पणी की थी। जिसके बाद एक शख्स ताहिर मसूद ने लाहौर हाईकोर्ट में इमरान के खिलाफ याचिका दायर की।
नमृता चंदानी की मौत के बाद परिवारजनों द्वारा बार-बार गुहार लगाने के बाद भी उसके गले में बंधे दुपट्टे को मौत के एक हफ्ते बाद फॉरेंसिक लैब भेजा गया था, जिसकी वजह से डीएनए नहीं लिया जा सका।