उन्होंने जबरन नमाज पढ़ाने की बात, गोमांस खिलाने की बात, नाम बदलने की बात सब पॉडकॉस्ट में स्वीकारी थी मगर बाद में एक पोस्ट किया कि वो लव जिहाद जैसी चीजों में मानती ही नहीं।
दारुल उलूम में एंट्री के लिए अब महिलाओं को अपने शौहर या किसी अभिभावक के साथ आना होगा। उन्हें संस्थान घूमने की सिर्फ 2 घंटे आजादी मिलेगी और शाम से पहले उन्हें बाहर निकलना होगा।
रतन टाटा का जीवन इस बात की याद दिलाता है कि लीडरशिप का आँकलन केवल उपलब्धियों से ही नहीं होता, बल्कि सबसे कमजोर लोगों की देखभाल करने की उसकी क्षमता से भी होता है।