वैसे तो होली का त्यौहार देश-विदेश में हर वर्ष अपने-अपने तरीके से मनाया जाता है, लेकिन ब्रज की होली का महत्व कुछ अलग ही है। ब्रज में बसे मथुरा, वृंदावन, बरसाना और नंदगाँव में मनाई जाने वाली होली की प्रसिद्धि कुछ इस कदर है कि यहाँ की होली देखने के लिए हर वर्ष लाखों लोग देश-विदेश से एकत्र होते हैं। तो अब आपको भी लिए चलते हैं। ब्रज की होली के रंग में वह भी अपनों के संग, चलिए।
वैसे तो फाल्गुन माह लगते ही ब्रज में होली के त्यौहार की शुरूआत हो जाती है, लेकिन सबसे ज्यादा अपनी ओर आकर्षित करने वाली और अनूठी होली बरसाना की लड्डू मार और लट्ठ मार है। तो हम भी कहाँ पीछे रहने वाले थे। मंगलवार को बरसाना राधा रानी के मंदिर यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने पहुँच कर लड्डू मार होली का शुभारंभ कर दिया था। इसके बाद प्रदेश की सबसे बड़ी ‘माताजी गोशाला’ में पहुँचे योगी आदित्यनाथ ने गोवंशों के लिए खोले गए अस्पताल का शुभारंभ किया। उनके बरसाना से रवाना होते ही दूर दराज से पहुँच रहे लोगों की भीड़ जुटना शुरू हो जाती है। कोई बरसाना में मौजूद मंदिरों के दर्शन कर रहा था तो कोई मंदिरों में खेले जाने वाली लड्डू मार होली का आनंद ले रहा था। यही क्रम देर रात तक चलता रहा।
बुधवार का दिन लट्ठ मार होली का था। सुबह से ही राधा-रानी मंदिर की ओर जाने वाले रास्ते में श्रद्धालुओं का ताँता लगा हुआ था। किसी के हाथ में गुलाल था तो किसी के हाथ में कान्हा की मूर्ति थी और हर किसी की जुबान पर था तो वह बस एक ही रट राधे-राधे, राधे-राधे। बरसाने में सबसे अधिक ऊँचाई पर स्थित राधा रानी मंदिर में दर्शन करने वालों की भीड़ एक के बाद एक हजारों की संख्या में जुट चुकी थी। सभी को मंदिर के कपाट खुलने का इंतजार था। इससे पहले कोई ध्यान मुद्रा में था तो कोई नाचते-गाते राधा रानी के प्यार में डूबा हुआ था। घड़ी में साढ़े आठ बजते ही एक जोरदार जयकारा लगता है, बोलिए… राधा रानी सरकार की जय। इसी के साथ मंदिर के कपाट खुल जाते हैं। चारों ओर से फूल- माला, मिठाई गुलाल की बरसात होने लगती है। इसी के साथ ढ़ोल नगाड़ों के साथ नृत्य होने लगता है।
मंदिर से राधा-रानी के दर्शन कर श्रद्धालु राधे-रानी की परिक्रमा करने में जुट गए। रास्ते में जगह-जगह हुरियारों के झुंड पिचकारी लिए सखियों पर चला रहे थे और गलियों में जमकर गुलाल उड़ा रहे थे। यह क्रम करीब 2 बजे तक जारी रहा। इसके बाद नंदगाँव से दुरियारों का बरसाने पहुँचने का सिलसिला शुरू हो जाता है और उधर बरसाने की हुरियारिन हाथों में लाठी लेकर घरों से निकलकर नजदीकी तिराहे और नुक्कड़ों पर एकत्र होने लगती है। हर एक पल बरसाने की गलियाँ लट्ठमार होली देखने के लिए भरती चली जाती है। छतों से गुलाल की बारिश हो रही है और गलियों में बिखरी ब्रज की रज को हर कोई स्पर्श करने को आतुर है।
नंदगाँव से बरसाना पहुँचे हुरियारों को देखते ही लट्ठ लेकर बेसब्री से इंतजार कर रहीं बरसाने की हुरियारिन उन पर टूट पड़ती है। हुरियारे एक के बाद एक हाथों में डाल लेकर अपनी रक्षा कर रहे हैं और हुरियारिन कभी हल्की लाठी मारकर प्रेम का संदेश देती हैं तो कभी मजबूती से लाठी चलाकर महिला सशक्तीकरण का अहसास कराती है। देर शाम होते ही मौसम भी हुरियारों के साथ होली खोलने लगता है और हल्की बूदों के साथ बरसात शुरू हो जाती है। लट्ठ मार होली के दौरान हुई बरसात ने रंग में भंग नहीं डाला बल्कि छतों से उड़ रहे गुलाल में मिलकर बरसात की बूंदों ने हर एक गली को रंग दिया, जिसमें हर कोई हुरियारा लोटपोट नज़र आया।
सूरज के ढलते ही यह सिलसिला थमने लगता है और नंदगाँव से आने वाले हुरियारे बरसाना से विदा लेते ही अपने गाँव को लौटने लगते हैें। इसके अगले दिन नंदगाँव में लट्ठमार होली खेली जाती है।