आज मंदिरों में लगी लंबी कतारें इस बात का प्रमाण हैं कि महाशिवरात्रि के पावन मौक़े पर हर शिव श्रद्धालु अपने प्रभु की भक्ति में लीन है। लेकिन इस शुभ अवसर पर शिव का एक मंदिर ऐसा भी है, जहाँ भारत से कोई भी श्रद्धालु दर्शन के लिए नहीं पहुँच रहा है।
हम बात कर रहे हैं पाकिस्तान के लाहौर से 280 किमी दूर पहाड़ियों पर स्थित भगवान शिव के कटासराज मंदिर की। यहाँ आज महाशिवरात्रि पर भारत से कोई भक्त शिव दर्शन के लिए नहीं पहुँचा है। ज़ाहिर है इसका कारण दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव ही हैं। जिसके कारण श्रद्धालुओं ने पाकिस्तान जाने का वीजा ही नहीं लिया है। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि इन दोनों देशों के बीच बढ़ते तनावों के कारण श्रद्धालुओं की भक्ति पर असर पड़ा हो, इससे पहले भी ऐसी स्थिति 1999 के कारगिल युद्ध और 2008 के मुंबई हमले के बाद पैदा हुई थी।
दैनिक भास्कर में छपी रिपोर्ट में लगातार 36 साल से भारतीय लोगों को कटासराज लेकर जाने वाले संयोजक शिवप्रताप बजाज ने बताया कि भारत के 141 श्रद्धालुओं ने कटासराज जाने के लिए वीजा की अर्जी लगाई थी। लेकिन पुलवामा हमले के बाद उन्होंने वहाँ न जाने का फैसला किया है। शिवप्रताप बताते हैं कि सिंध के कुछ हिंदू उनकी ओर से भगवान शिव का जलाभिषेक करेंगे।
भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक 1000 साल से भी ज्यादा पुराने इस मंदिर को महाशिवरात्रि के लिए साफ़ किया गया है। कुछ समय पहले इसके पास लगी सीमेंट फैक्ट्रियाँ बोरवेल से पानी निकाल रही थीं। जिससे जमीनी पानी का स्तर घटता गया और सरोवर सूखने की हालत पर पहुँच गया था। लेकिन फिर सिंध के हिंदुओं की याचिका पर पाकिस्तान सर्वोच्च न्यायालय ने सरोवर को ठीक करने के आदेश दिए। साथ ही इन फैक्ट्रियों पर 10 करोड़ का जुर्माना भी लगाया गया और सरोवर के पास से इन्हें हटाने के विकल्प पर भी विचार करने को कहा गया। अब 150 फीट लंबे और 90 फीट चौड़े पवित्र सरोवर का पानी शीशे की तरह साफ़ है। पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद से ही पाक सरकार इस मंदिर को यूनेस्को की हैरिटेज लिस्ट में लाने के लिए भी प्रयासरत है।
इस मंदिर को लेकर पौराणिक मान्यता है कि माता सती की मृत्यु होने पर जब शिव रोए थे तो उनके अश्रुओं से एक नदी बन गई थी। इस नदी से दो सरोवर बने। एक तो भारत के पुष्कर में है और दूसरी पाकिस्तान के कटासराज में।