मध्य प्रदेश के सीहोर का कुबेरेश्वर धाम और कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा सुर्खियों में है। रुद्राक्ष महोत्सव में शामिल होने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी है। 52 एकड़ में फैले कुबेरेश्वर धाम में जगह नहीं बची है। बाहर कई किलोमीटर लंबा जाम लगे होने की खबर है।
महोत्सव की शुरुआत 16 फरवरी 2023 से हुई। 16 से 23 तारीख तक यहाँ कथा का भी आयोजन है। महोत्सव में 24 लाख से ज्यादा रुद्राक्ष बाँटे जाने का लक्ष्य रखा गया है। लेकिन गुरुवार (16 फरवरी 2023) दोपहर तक ही करीब 10 लाख लोग जुट गए थे। करीब दो लाख लोग तो 15 फरवरी को ही पहुँच गए थे। इसे देखते हुए रुद्राक्ष बाँटने की शुरुआत एक दिन पहले ही कर दी गई थी। दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार धाम की तरफ से रुद्राक्ष बाँटने के लिए 30 काउंटर बनाए गए हैं। श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए 18-18 हजार वर्गफीट के 5 डोम बनाए गए हैं।
चमत्कारी रुद्राक्ष के लिए भीड़
दावा है कि महोत्सव में मिलने वाले रुद्राक्ष को पानी में डालने के बाद उस पानी को पीने से हर समस्या दूर हो जाती है। भले ही नक्षत्र खराब हो, बीमारी हो, बाधाएँ हो सब संकट का निवारण हो जाएगा। यही कारण है कि इस रुद्राक्ष लेने के लिए लाखों लोगों की भीड़ जुटी है।
पंडित प्रदीप मिश्रा के अनुसार, कुबेरेश्वर धाम में जो रुद्राक्ष आता है, वह गंडकी नदी का होता है। भोपाल और इंदौर के विज्ञान विभाग ने रुद्राक्ष की जाँच की है। जाँच रिपोर्ट में पता चला है कि रुद्राक्ष के अंदर गंडकी नदी का पानी है। अगर इस रुद्राक्ष को पानी में डालकर रखें और फिर इस पानी को पी लिया जाए, जो कई सारे रोग खत्म हो जाते हैं।
कौन हैं पंडित प्रदीप मिश्रा
पंडित प्रदीप मिश्रा का जन्म 1980 में मध्य प्रदेश के सीहोर में हुआ था। उनके पिता का निधन हो चुका है। गरीबी के कारण उनके पिता रामेश्वर मिश्रा पढ़ नहीं पाए थे। जीवनयापन के लिए वह चने का ठेला लगाते थे। बाद में उन्होंने चाय की दुकान भी चलाई। प्रदीप मिश्रा भी अपने पिता के साथ दुकान पर लोगों को चाय दिया करते थे। यही नहीं वह दूसरों के कपड़े पहनकर स्कूल जाया करते थे और दूसरों की किताबों से पढ़ते थे। भगवान शिव में उनकी गहरी आस्था है। वे आज जिस मुकाम पर पहुँचे हैं, उसके लिए महादेव का पल-पल शुक्रिया करते हैं।
ब्राह्मण परिवार की महिला ने किया प्रेरित
पंडित प्रदीप मिश्रा ने मीडिया में अपने जीवन से जुड़ी कई दिलचस्प बातें बताई हैं। प्रदीप मिश्रा के अनुसार, सीहोर में ही एक ब्राह्मण परिवार की गीता बाई पराशर नाम की महिला ने उन्हें कथा वाचक बनने के लिए प्रेरित किया था। वह दूसरों के घरों में खाना बनाने का काम करती थी। वो उनके घर पर गए थे, उन्होंने उन्हें गुरुदीक्षा के लिए इंदौर भेजा था। गुरु श्री विठलेश राय काका ने मिश्रा को दीक्षा दी और पुराणों का ज्ञान दिया।
भगवान शिव को सुनाई पहली कथा
पंडित प्रदीप मिश्रा शुरुआत में शिव मंदिर में भगवान शिव को ही कथा सुनाया करते थे। वह मंदिर की सफाई करते थे। इसके बाद सीहोर में ही पहली बार मंच पर कथा वाचक के रूप में उन्होंने शुरुआत की। इसके बाद से उन्होंने मंच से कथा सुनाने का काम जारी रखा। आज लाखों लोग उन्हें सुनने के लिए दूरदराज इलाकों से उनके दरबार में पहुँचते हैं।