अयोध्या में 22 जनवरी, 2024 को होने जा रहे राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए नेपाल से रामलला के लिए खास उपहार भेजे जाएँगे। नेपाल अगले महीने अयोध्या में राम मंदिर के अभिषेक के लिए कई तरह के आभूषण, बर्तन, कपड़े और मिठाइयाँ सहित विशेष स्मृति चिह्न भेजेगा।
रविवार (24 दिसंबर,2023) को आई नेपाल के माई रिपब्लिका अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, अयोध्या में नेपाल से ये सब उपहार एक खास यात्रा जनकपुरधाम-अयोध्याधाम के जरिए पहुँचाएँ जाएँगे।
ये यात्रा 18 जनवरी 2024 को नेपाल के जनकपुरधाम से शुरू होकर जलेश्वर नाथ, मलंगवा, सिमरौनगढ़, गढ़ीमाई, बीरगंज से बेतिया, कुशीनगर, सिद्धार्थनगर, गोरखपुर होते हुए 20 जनवरी 2024 को अयोध्या पहुँचेगी। नेपाल के जानकी मंदिर के संयुक्त महंत रामरोशन दास वैष्णव के मुताबिक, नेपाल से भेजा गया खास स्मृति चिह्न रामजन्म भूमि राममंदिर ट्रस्ट को सौंप दिया जाएगा।
बताते चलें कि भगवान राम की मूर्ति बनाने के लिए अयोध्या आई शिला भी नेपाल से भेजी गई थी। नेपाल में कालीगंडकी नदी के किनारे से इकट्ठा किए गए शालिग्राम पत्थरों को भगवान राम की मूर्ति बनाने के लिए चुनकर भारत भेजा गया था। इसी शिला से बनी रामलला की मूर्ति को उद्घाटन के दिन मंदिर में स्थापित किया जाएगा।
नेपाल, अयोध्या के भव्य राममंदिर को उनके लिए विकास और पर्यटन क्षेत्र में नई संभावनाएँ के द्वार के तौर पर देख रहा है। नेपाल सरकार आस लगा रही है कि दुनिया भर से जो तीर्थयात्री राम के जन्मभूमि में प्रभु का दर्शन करने आएँगे वो माँ सीता के जन्मस्थल की भी यात्रा करेंगे।
बताते चलें कि भारत में नेपाल के राजदूत शंकर प्रसाद शर्मा ने 22 दिसंबर, 2023 को कहा कि दोनों देश जनकपुर और अयोध्या के बीच “सिस्टर सिटी रिलेशनशिप” स्थापित करने के लिए काम कर रहे हैं।
उन्होंने जनकपुर को रामायण सर्किट का जरूरी हिस्सा कहा है। रामायण सर्किट की परिकल्पना भारत सरकार ने साल 2014 में की थी। ये भगवान राम के जीवन को दिखता है और इसमें नेपाल के जनकपुर के साथ-साथ रामायण से संबंधित प्रमुख तीर्थ स्थल भी शामिल हैं।
बीते हफ्ते नेपाल दूतावास के समन्वय में इनक्रेडिबल चैंबर ऑफ इंडिया ने रामायण सर्किट पर एक सेमिनार किया था। इस मौके पर नेपाली राजदूत शंकर प्रसाद शर्मा ने कहा था कि दोनों देश सदियों से एक-दूसरे के लिए आध्यात्मिक और सांस्कृतिक गंतव्य स्थल रहे हैं।
उन्होंने कहा, “भारत और नेपाल रामायण सर्किट पर मिलकर काम कर रहे हैं, जनकपुर इसका एक अहम हिस्सा है, जो दोनों देशों में पर्यटन विकास में सहायता करेगा।” उन्होंने कहा, “माता सीता की जन्मभूमि जानकी मंदिर नेपाल की सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। ये भारत और नेपाल के बीच संबंधों को मजबूत करने के प्रमुख घटकों में से एक बन गया है।”