Friday, November 22, 2024
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अयोध्या से अबू धाबी तक हिंदुओं के लिए आया गौरव का क्षण, 14 फरवरी को पहले हिंदू मंदिर का उद्घाटन करेंगे PM मोदी: 2018 में रखी थी आधारशिला

“अबूधाबी का मंदिर वसुधैव कुटुंबकम के आदर्श को प्रतिबिंबित करेगा। यह एक आदर्श आध्यात्मिक स्थान होगा जो न केवल मान्यताओं और परंपराओं में निहित है, बल्कि विविध संस्कृतियों और सभ्यताओं का संगम है। ये आध्यात्मिक सद्भाव का सार और आगे बढ़ने के मार्ग का प्रतीक है।”

2024 की 22 जनवरी को अयोध्या के भव्य राम मंदिर में भगवान रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा होगी। उसके बाद 14 फरवरी को अबू धाबी में पहले हिंदू मंदिर का उद्धाटन होगा। इसके लिए बीएपीएस स्वामीनारायण संस्था का न्योता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वीकार कर लिया है।

बीएपीएस स्वामीनारायण संस्था ने एक बयान में बताया है कि 27 दिसंबर को स्वामी ईश्वरचरणदास और स्वामी ब्रह्मविहरिदास ने निदेशक मंडल के साथ पीएम मोदी से उनके दिल्ली के 7 लोक कल्याण मार्ग स्थित आधिकारिक आवास पर मुलाकात की। उन्हें संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की राजधानी अबू धाबी में ​बने इस मंदिर के निर्माण को लेकर जानकारी दी। साथ ही इसका उद्घाटन करने का आमंत्रण पत्र सौंपा।

पीएम के साथ बीएपीएस स्वामीनारायण संस्था के लोगों की यह बैठक करीब एक घंटे तक चली। इस दौरान वैश्विक सद्भाव के लिए अबू धाबी मंदिर के महत्व और वैश्विक मंच पर भारत के आध्यात्मिक नेतृत्व के लिए पीएम मोदी के दृष्टिकोण पर चर्चा हुई।

इस दौरान पीएम ने अबू धाबी में बीएपीएस हिंदू मंदिर परियोजना में शामिल लोगों, स्वयंसेवकों और समर्थकों की कोशिशों को सराहा। उन्होंने कहा, “अबूधाबी का मंदिर वसुधैव कुटुंबकम के आदर्श को प्रतिबिंबित करेगा। यह एक आदर्श आध्यात्मिक स्थान होगा जो न केवल मान्यताओं और परंपराओं में निहित है, बल्कि विविध संस्कृतियों और सभ्यताओं का संगम है। ये आध्यात्मिक सद्भाव का सार और आगे बढ़ने के मार्ग का प्रतीक है।”

उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 11 फरवरी 2018 को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अबू धाबी में पहले हिंदू मंदिर की आधारशिला रखी थी। पीएम मोदी ने अबू धाबी में बनने वाले भव्य हिंदू मंदिर के लिए 125 करोड़ भारतीयों की ओर से क्रॉउन प्रिंस मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान को धन्यवाद दिया था। उन्होंने इसे भारत की पहचान का जरिया बताया था।

अबू धाबी का मंदिर 55 हजार वर्गमीटर में फैला हुआ है। मंदिर का निर्माण प्राचीन हिंदू शिल्प शास्त्र के मुताबिक किया गया है। इस मंदिर की उम्र करीब 1000 साल है यानी एक हजार साल तक मंदिर मजबूती से खड़ा रहेगा। 1,000 साल की नींव के डिजाइन के बारे में बात करते हुए, बीएपीएस के प्लानिंग सेल संजय पारिख ने 2021 में बताया था, “यह पूरी तरह से सुदृढ़ संरचना होगी और इसमें हमारे प्राचीन शिल्प शास्त्र के अनुसार किसी भी लौह धातु का उपयोग नहीं किया जाएगा।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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