गोवा के उत्तरी गोवा जिले में स्थित सप्तकोटेश्वर मंदिर का जीर्णोद्धार हुआ। शनिवार (11 फरवरी, 2023) को मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत द्वारा उद्घाटन किए जाने के बाद यह मंदिर भक्तों के लिए एक बार फिर खुल गया। इससे पहले इस मंदिर का जीर्णोद्धार छत्रपति शिवाजी महाराज ने कराया था।
सप्तकोटेश्वर मंदिर का इतिहास…
गोवा की राजधानी पणजी से 25 किलोमीटर दूर स्थित नरवे गाँव में बने भगवान शिव के इस सप्तकोटेश्वर मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में कदंब वंश के राजा ने अपनी पत्नी के लिए कराया था। वह भगवान शिव की बड़ी भक्त थीं। यह मंदिर अब तक कई हमले झेल चुका है।
मंदिर पर पहला हमला साल 1352 में इस्लामिक आक्रांता अलाउद्दीन हसन गंगू ने किया था। दरअसल, हसन गंगू ने कदंब साम्राज्य पर आक्रमण कर यहाँ कब्जा कर लिया था। इसके बाद करीब 14 वर्ष तक यह क्षेत्र अलाउद्दीन हसन गंगू के ही कब्जे में रहा। इस दौरान सप्तकोटेश्वर मंदिर सहित कई हिंदू मंदिरों में तोड़फोड़ की गई थी।
हालाँकि इसके बाद साल 1367 में विजयनगर के राजा हरिहर राय ने गोवा में हसन गंगू को हरा दिया। हरिहर के शासन काल में सप्तकोटेश्वर मंदिर सहित कई अन्य मंदिरों का जीर्णोद्धार हुआ। ऐतिहासिक साक्ष्यों के अनुसार 14वीं शताब्दी के अंत में माधव मंत्री ने इस मंदिर का पुनर्निर्माण कराया। साल 1560 में इस मंदिर पर एक और हमला हुआ। यह हमला पुर्तगालियों ने किया था। हमले में मंदिर को बुरी तरह से तोड़ते हुए शिवलिंग को कुएँ में फेंक दिया गया।
यही नहीं, पुर्तगालियों ने इस मंदिर के स्थान पर एक चैपल (ईसाइयों का प्रार्थना स्थल जो चर्च से छोटा होता है) बना दिया था। हालाँकि इसके बाद हिंदू शिवलिंग को बचाते हुए बिचोलिम ले गए। जहाँ इसे एक नए मंदिर में स्थापित किया गया। फिर साल 1668 में हिन्दवी स्वराज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज ने इसका जीर्णोद्धार कराया था।
भाजपा की पहल से हुआ जीर्णोद्धार
इस मंदिर के जीर्णोद्धार की पहल साल 2019 में भाजपा सरकार ने की थी। इसके बाद तत्कालीन पुरातत्व मंत्री विजय सरदेसाई ने आगे आते हुए पुरातत्व विभाग को इसके जीर्णोद्धार का काम सौंपा था। इसके बाद यह जीर्णोद्धार पूरा हो सका है। मंदिर के उद्घाटन के समय छत्रपति शिवाजी महाराज के वंशज और महाराष्ट्र के सतारा से विधायक शिवेंद्र राजे भोसले भी उपस्थित रहे।