विश्व प्रसिद्ध तिरुपति बालाजी मंदिर का संचालन करने वाली ट्रस्ट तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) ने एक श्वेत पत्र जारी किया है। शनिवार (5 नवंबर 2022) को जारी श्वेत पत्र के अनुसार ट्रस्ट के पास 2.26 लाख करोड़ रुपए से अधिक की प्रॉपर्टी है।
मंदिर ट्रस्ट (Tirupati Temple Trust) ने बताया है कि उसका राष्ट्रीयकृत बैंकों में ₹5,300 करोड़ से अधिक का 10.3 टन सोना जमा है। 15,938 करोड़ रुपए कैश हैं। इस जानकारी के बाद यह स्पष्ट है कि TTD ने आंध्र प्रदेश और केंद्र सरकार के बॉन्ड की प्रतिभूतियों में निवेश नहीं किया है, जैसा कि दावा किया जा रहा था।
ट्रस्ट के मुताबिक, साल 2022-23 में 3,100 करोड़ का बजट पेश किया गया था, जिसमें से 668 करोड़ रुपए तो बैंकों से मिलने वाले ब्याज के ही थे। मंदिर के एक अधिकारी ने कहा कि तिरुपति में नकद और सोने के आभूषण चढ़ाने में लगातार वृद्धि हो रही है। बैंकों से मिलने वाले ब्याज के कारण भी यह बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है। मंदिर के अधिकारियों ने आगे कहा कि ट्रस्ट द्वारा संपत्तियों का जो विवरण दिया गया है, उनमें प्राचीन आभूषणों और कुछ गेस्ट हाउस को शामिल नहीं किया गया है।
30 सितंबर, 2022 तक सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के 24बैंकों में TTD के 15,938 करोड़ रुपए से अधिक की राशि जमा थी। इसमें तीन साल में 2,913 करोड़ रुपए की वृद्धि हुई है। बता दें कि तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम की देश भर में 7,000 एकड़ से अधिक की 900 से अधिक अचल संपत्तियाँ हैं। यह आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, तेलंगाना, ओडिशा, हरियाणा, महाराष्ट्र और नई दिल्ली में मंदिरों का संचालन करती है।
ट्रस्ट बोर्ड ने यह भी दावा किया कि उसने 2019 से अपने इन्वेस्टमेंट गाइडलाइंस को मजबूत किया है। बैंकों में मंदिर का सोना जमा 2019 में 7.3 टन से बढ़कर 2022 में 10.25 टन हो गया है। पिछले तीन सालों की इन्वेस्टमेंट में 2,900 करोड़ की वृद्धि हुई है। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) और इंडियन ओवरसीज बैंक में जमा सोने पर भी अच्छा ब्याज मिल रहा है। इसमें एसबीआई के पास 9.8 टन सोना जमा है और शेष इंडियन ओवरसीज बैंक के पास है।
तिरुपति मंदिर के बारे में मान्यता है कि जो भी यहाँ अपने पाप और बुराइयों को छोड़ जाता है, उसके दुख देवी लक्ष्मी खत्म कर देती हैं। इसलिए यहाँ आने वाले श्रद्धालु बुराइयों के तौर पर अपने बाल छोड़ जाते हैं। साथ ही इस मंदिर में भगवान को चढ़ाया गया तुलसी पत्र भी भक्तों को नहीं दिया जाता। उसे मंदिर परिसर के कुएँ में डाल दिया जाता है।