दक्षिण भारतीय फिल्मों की प्रसिद्ध अभिनेत्री प्रणिता सुभाष (Pranitha Subhash) की हाल में वायरल हुई एक फोटो को लेकर उन्हें काफी ट्रोल किया गया। इस पर उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि वे शुरू से ही एक घरेलू एवं पारंपरिक लड़की रही हैं और इसमें वह दृढ़ता से विश्वास करती हैं।
बता दें कि इस फोटो में प्रणिता अपने पति के चरणों में बैठ पूजा कर रही थीं। फोटो वायरल के होने के बाद कथित नारीवादियों ने उन्हें सोशल मीडिया पर ट्रोल करना शुरू कर दिया और इसे पुरुषवादी वर्चस्व को बढ़ावा देने वाला बताया।
दरअसल, एक अनुष्ठान के दौरान प्रणिता अपने पति की पूजा कर रही थीं, जो आषाढ़ माह में विवाहित महिलाएँ मनाती हैं। तस्वीर में कन्नड़, तेलुगु, तमिल और हिंदी फिल्मों एक प्रसिद्ध अभिनेत्री प्रणिता अपने पति नितिन राजू के चरणों में बैठी भीमना अमावस्या की पूजा करती दिखाई दे रही थीं।
कई सोशल मीडिया यूजर ने अपने पारंपरिक रीति-रिवाजों का पालन करने के लिए प्रणिता की खूब प्रशंसा की। वहीं, कुछ यूजर्स इससे नाराज थे। एक यूजर ने ट्वीट किया, “सभी पुरुष उनकी तारीफ कर रहे हैं। पुरुष महिलाओं के पैर क्यों नहीं धोते? यही समानता है।”
एक अन्य यूजर ने लिखा, “बस पूछ रहा हूँ.. आपको अपने पति के चरणों में बैठने की क्या जरूरत है… आप दोनों बराबर हैं…इस पितृसत्ता को रोकें…।” लगातार ट्रोल होने के बाद अभिनेत्री ने अपनी प्रतिक्रिया दी है।
ईटाइम्स से बातचीत के दौरान प्रणिता सुभाष ने कहा, “वैसे, जीवन में हर चीज के दो पहलू होते हैं, लेकिन इस मामले में 90 प्रतिशत लोगों के पास कहने के लिए एक अच्छी बात थी। बाकियों को मैंने अनदेखा किया।”
उन्होंने आगे कहा, “मैं एक अभिनेत्री हूँ और ग्लैमर की दुनिया से मेरा संबंध है। इसका मतलब यह नहीं है कि मैं उन संस्कारों का अनुकरण नहीं करूँ जिनके साथ मैं पली बढ़ी हूँ, जिनमें मेरा पूरी तरह से विश्वास है। मेरे सभी कजिन्स, पड़ोसी और दोस्तों ने यह पूजा की है। मैंने पिछले साल भी पूजा की थी जब मेरी नई-नई शादी हुई थी, लेकिन तब तस्वीर साझा नहीं की थी।”
उन्होंने कहा, “वास्तव में यह मेरे लिए नया नहीं है। मैं हमेशा दिल से एक पारंपरिक लड़की रही हूँ और मूल्यों, रीति-रिवाजों और परिवार से जुड़ी हर चीज से प्यार करती हूँ। घरेलू रहना मुझे हमेशा से पसंद रहा है और इसलिए एक संयुक्त परिवार में रहना पसंद है।”
उन्होंने आगे कहा, “अपने माता-पिता के अलावा मैं भी चाची, दादी और चाचाओं से घिरी हुई बड़ी हुई हूँ और मुझे यह पसंद है। सनातन धर्म एक अवधारणा है, जो बहुत सुंदर है और सभी को गले लगाती है और मैं इसका दृढ़ता से पालन करती हूँ। कोई आधुनिक हो सकता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि कोई अपनी जड़ों को भूल जाए।”
प्रणिता ने इसके बाद ऑनलाइन बहस पर भी अपने विचार साझा किए कि क्यों केवल पत्नी ही पति की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना कर रही है, न कि पति। उन्होंने कहा कि बहस का कोई मतलब नहीं है, क्योंकि वे एक-दूसरे के स्वास्थ्य और कल्याण के लिए प्रार्थना करते हैं।