अपने विवादित बयानों के कारण अक्सर सुर्खियों में रहने वाले डायरेक्टर कबीर खान ने इस बार एक इंटरव्यू में राष्ट्रवाद और देशप्रेम में अंतर बताया है। एक था टाइगर फिल्म के डायरेक्टर ने कहा, “ये जरूरी नहीं है कि देश के लिए प्यार जताने के लिए दूसरा पक्ष भी दिखाया जाए। कभी-कभी हम अपनी फिल्मों में तिरंगा दिखाते हैं, लेकिन राष्ट्रवाद और देशप्रेम में बहुत अंतर है।”
कबीर खान ने अपना दर्द बयाँ करते हुए एबीपी ‘आइडियाज ऑफ इंडिया समिट 2022’ में कहा कि उन्हें अपने ‘खान’ सरनेम के कारण कई बार पाकिस्तान जाने को कहा गया। उन्हें लगातार ट्रोल किया जाता है। उन्हें ये सब बहुत बुरा लगता है। कबीर आगे कहते हैं, “मेरा नाम खान है और इसलिए मुझसे कहा गया कि पाकिस्तान जाओ।” उन्होंने बताया, “मैं एक बार पाकिस्तान गया था, वहाँ लश्कर-ए-तैय्यबा ने मुझे भारत वापस जाने के लिए कहा। इस हिसाब से तो मैं न यहाँ का हूँ और न वहाँ का।”
’83’ का निर्देशन करने वाले कबीर खान ने इस फिल्म में केवल पाकिस्तान और उसकी फ़ौज का महिमामंडन किया है। फिल्म पानीपत, पद्मावत और तान्हाजी में मुगलों को हत्यारा दिखाए जाने से खान ने खासा नाराजगी जताई जताते हुए मुगलों को ही असली राष्ट्र निर्माता बता दिया था। उन्होंने कहा था कि यदि आप फिल्मों में मुगलों को गलत दिखाना चाहते हैं, तो पहले रिसर्च कर लीजिए और यह भी बताइए कि किस आधार पर आप ऐसा दिखा रहे हैं।
बता दें कि बजरंगी भाईजान के निर्देशक कबीर खान ने पिछले साल अगस्त में विवादित बयान देते हुए कहा था कि उन्हें मुगलों को बदनाम करने वाली फिल्में देखना ‘समस्याग्रस्त और परेशान करने वाला’ लगता है। उनके मुताबिक ऐसा ‘सिर्फ पॉपुलर नैरेटिव के साथ जाने के लिए’ किया जाता है और ये फिल्में ‘ऐतिहासिक साक्ष्य’ पर आधारित नहीं हैं।