Thursday, November 14, 2024
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करण जौहर को विंग कमांडर नमृता चंडी ने फटकारा, जान्हवी से कहा- ऐसी फिल्में दोबारा न करना

“मैंने एक हेलीकॉप्टर पायलट के रूप में पूरे 15 साल तक सेवा की और खुद को एक बहुत ही गौरवशाली भारतीय वायु सेना अधिकारी मानती हूँ। मैं किसी को भी इस तरह से फोर्स की छवि को धूमिल करने की इजाजत नहीं दूँगी।"

जान्हवी कपूर की फिल्म गुंजन सक्सेना लगातार विवादों में है। भारतीय वायुसेना की तरफ से फिल्म को लेकर आपत्ति जताई जा चुकी है। वायुसेना ने सेंसर बोर्ड से इसकी शिकायत भी की है। सोशल मीडिया पर भी लगातार फिल्म का विरोध हो रहा है। इस बीच वायु सेना के एक पूर्व अधिकारी ने फिल्म के निर्माताओं को एक चिट्ठी लिखी है। चिट्ठी में कहा है कि वे क्रिएटिव फ्रीडम के नाम पर दर्शकों के सामने झूठ नहीं परोस सकते।

गुंजन सक्सेना फिल्म के निर्माताओं को संबोधित अपने पत्र में विंग कमांडर नमृता चंडी (सेवानिवृत्त) ने भारतीय सशस्त्र बलों, विशेष रूप से भारतीय वायु सेना के नकारात्मक चित्रण को लेकर एक विस्तृत प्रतिक्रिया लिखी है। साथ ही उन्होंने फिल्म में दिखाए गए महिला के साथ भेद-भाव, दुर्व्यवहार और उनके साथ उत्पीड़ने के दावों को सिरे से खारिज कर दिया। 

विंग कमांडर चंडी (सेवानिवृत्त) ने अपने पत्र में कहा है कि पुरुषों और महिलाओं दोनों ने सशस्त्र बलों में एक साथ प्रशिक्षण लिया है। आउटलुक में प्रकाशित पत्र के अनुसार उन्होंने गुंजन के साथ प्रशिक्षण लिया है और एक-दूसरे को सबसे खराब परिस्थितियों में देखा है।

उन्होंने करण जौहर की धर्मा प्रोडक्शन्स और उनके बेकार लेखकों और उनकी घटिया कहानियों को दोषी ठहराया, जिन्होंने प्राउड ब्लू यूनीफॉर्म को बहुत ही नकारात्मक तरीके से पेश किया।

विंग कमांडर नमृता ने कहा, “मैंने इस फिल्म को थोड़ी उम्मीद के साथ देखा। बहुत कम फिल्में सत्य के साथ कोई न्याय करती हैं, इस फिल्म के साथ भी यही हुआ। फिल्म निर्माताओं ने डिस्क्लेमर जारी किया और सिनेमाई लाइसेंस एवं क्रिएटिव फ्रीडम की आड़ में खुद को दोषमुक्त कर लिया।”

वायु सेना अधिकारी ने कहा कि सिनेमा लाइसेंस और क्रिएटिव फ्रीडम को ‘कभी खुशी कभी गम’ जैसी बबल गम फिल्मों पर लागू किया जा सकता है, लेकिन भारतीय वायु सेना जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के तहत निर्धारित नियमों और स्थापित प्रोटोकॉल के पूर्ण दायरे में इसे फिट नहीं किया जा सकता है।

नमृता ने फिल्म निर्माताओं पर ‘झूठ बोलने’ का आरोप लगाया। उन्होंने लिखा, “श्रीविद्या राजन पहली महिला पायलट थीं जिन्होंने कारगिल से उड़ान भरी थी, न कि गुंजन। हालाँकि, मुझे पूरा विश्वास है कि श्रीविद्या को इस क्रेडिट के छिन जाने को लेकर कोई शिकायत नहीं होगी।”

उन्होंने कहा कि वो इस बात को लेकर निश्चित नहीं हैं कि गुंजन ने फिल्म निर्माताओं के शोधकर्ताओं को क्रू रूम में अपने अनुभवों के बारे में क्या बताया है, लेकिन वो पूरे यकीन के साथ कह सकती है कि जिसने भी वर्दी पहनी है, पाँच-छ: साल के लिए गुंजन की तरह ही सही, वो कभी भी सिनेमा के लिए इस तरह के तुच्छ परिदृश्य को नहीं दर्शाएगा।

भारतीय वायु सेना में अपने स्वयं के अनुभव को बताते हुए, नमृता चंडी ने कहा, “मैंने खुद एक हेलीकॉप्टर पायलट के रूप में देश की सेवा की है और मैंने कभी भी उस तरह के दुर्व्यवहार और उत्पीड़न का सामना नहीं किया है जैसा कि फिल्म में दिखाया गया है। जबकि सच्चाई यह है कि, वर्दी में पुरुष सच्चे सज्जन और पेशेवर होते हैं। वे महिला अधिकारियों को सहज और समायोजित करने की पूरी कोशिश करते हैं।”

वो आगे कहती हैं, “हाँ, शुरू में बिना किसी कमरे या विशेष लेडीज टॉयलेट्स जैसी शुरुआती परेशानियाँ थीं; फिर भी पुरुषों ने हमारे लिए जगह बनाई। कभी-कभी जब मैं चेंज करती थी तो मेरे ब्रदर ऑफिसर्स पर्दे के बाहर पहरा दिया करते थे। मेरे 15 साल के पूरे करियर में कभी भी मेरे साथ बदसलूकी या मेरा अपमान नहीं हुआ।”

पूर्व अधिकारी ने यह भी कहा कि वे लोग जो सभी ऑपरेशनल स्क्वाड्रनों में बोझ उठाते हैं, वे महान पेशेवर क्षमता के पुरुष होते हैं, ना कि उस तरह के, जैसा कि फिल्म में दिखाया गया है। उन्होंने आगे कहा, “वायु सेना में हर पायलट को खुद को साबित करना होता है, चाहे वो पुरुष हो या महिला।”

तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर अपना नैरेटिव सेट करने वाले मूवी मेकर्स पर तीखा हमला करते हुए वायु सेना अधिकारी ने कहा कि सिनेमा लाइसेंस अलग चीज है, लेकिन जब आप किसी संस्था के ऊपर काम करते हो तो आप उसके तथ्यों के साथ छेड़छाड़ नहीं कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि इसमें थोड़ा सा विस्तार दिया जा सकता है, मगर झूठ नहीं फैलाया जा सकता।

फिल्म में एक दृश्य के बारे में बताते हुए जहाँ एक आर्मी मेजर गुंजन सक्सेना के चरित्र पर कुछ टिप्पणी करता है, सेवानिवृत्त अधिकारी चंडी ने कहा कि यहाँ तक कि एक मूर्ख को भी पता है कि जब आप एक कमीशन अधिकारी होते हैं, तो आप भारत के संविधान के लिए प्रतिबद्ध होते हैं। इसके साथ ही उन्होंने मूवी मेकर्स से कहा कि एक नागरिक को यह कल्पना भी नहीं करना चाहिए कि आदेशों की अवज्ञा करना संभव है।

उन्होंने बताया कि कैसे भारतीय सशस्त्र बल महिला पुरुष में भेदभाव किए बिना काम करती है। उन्होंने कहा, “मैं खुद पहली महिला अधिकारी रही हूँ। मैंने 1996 में पाकिस्तान के साथ अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर उड़ान भरी थी। मुझे हर उस अधिकारी पर विश्वास था, जो क्रू रूम में मेरे साथ बैठे थे। मैं लेह में तैनात होने वाली पहली महिला पायलट थी और सियाचिन ग्लेशियर में चीता हेलिकॉप्टर उड़ाती थी, एक ऐसा क्षेत्र जहाँ वहम था कि जब भी कोई महिला बेस कैंप का दौरा करती थी तो सेना को हताहत होना पड़ता था! लेकिन एक बार भी मेरे सहकर्मियों या फ्लाइट कमांडर ने मेरे उड़ान या क्षमता पर आपत्ति नहीं जताई थी। मेरे पति और मैं दोनों दिसंबर 2000 से दिसंबर 2002 तक लेह में एक साथ तैनात थे। अगर मुझे संदेह होता, तो वह आपत्ति करने वाले पहले व्यक्ति होते।”

उन्होंने कहा कि उनकी महिला अधिकारी सहकर्मी भी हैरान और दुखी हैं कि इस फिल्म के माध्यम से क्या दिखाया गया है। नमृता चंडी ने खुलासा कि गुंजन सक्सेना को शौर्य चक्र मिला, यह खबर बिल्कुल असत्य है। उन्होंने कहा कि फिल्म निर्माताओं ने तथ्यों के साथ खिलवाड़ किया है, जो वास्तविक शौर्य चक्र विजेताओं की बहादुरी को अपमानित कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, “मैं फिर से दोहराती हूँ कि हममें से किसी के भी मन में गुंजन के खिलाफ कुछ भी नहीं है। हमारी सबसे बड़ी आपत्ति उस तरीके को लेकर है जिस तरह से महिला अधिकारियों को दिखाया गया है। मेरी साथी महिला अधिकारी, और मैं, वर्षों से, हमारे पुरुष सहयोगियों का प्रखरता से बचाव करते हैं। उन्होंने हमारा स्वागत किया है और हमें समान सम्मान दिया है।”

विंग कमांडर नमृता चंडी (सेवानिवृत्त) ने कहा, “मैंने एक हेलीकॉप्टर पायलट के रूप में पूरे 15 साल तक सेवा की और खुद को एक बहुत ही गौरवशाली भारतीय वायु सेना अधिकारी मानती हूँ। मैं किसी को भी इस तरह से फोर्स की छवि को धूमिल करने की इजाजत नहीं दूँगी, फिर चाहे वो क्रिएटिविटी या सिनेमाई लाइसेंस की आड़ में ही क्यों न हो।”

नमृता चंडी ने पत्र के अंत में फिल्म में गुंजन का किरदार निभाने वाली जान्हवी को संदेश देते हुए कहा है कि अगर वो खुद को प्राउड भारतीय महिला मानती हैं, तो इस तरह की फिल्में दोबारा न करें। भारतीय पेशेवर महिलाओं और पुरुषों की इस तरह से नकारात्मक छवि दिखाना बंद करें।

गौरतलब है कि इससे पहले राष्ट्रीय महिला आयोग ने फिल्म पर आपत्ति जताई है। इससे पहले भारतीय वायुसेना ने फिल्म पर अपनी खराब छवि दिखाने का आरोप लगाते हुए इसे प्रतिबंधित करने की माँग की थी। राष्ट्रीय महिला आयोग ने अब निर्माताओं से कहा है कि ‘गुंजन सक्सेना’ की स्ट्रीमिंग पर रोक लगाई जाए। साथ ही राष्ट्रीय महिला आयोग ने कहा है कि ‘गुंजन सक्सेना’ ने भारतीय वायुसेना की जिस तरह से नकारात्मक छवि दिखाई है, उसके लिए इसके निर्माताओं को माफ़ी माँगनी चाहिए।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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