Friday, November 8, 2024
Homeविविध विषयमनोरंजन'लोग क्या कहेंगे - मैंने इस पर कभी ध्यान नहीं दिया': बयान पर आलोचना...

‘लोग क्या कहेंगे – मैंने इस पर कभी ध्यान नहीं दिया’: बयान पर आलोचना के बाद बोलीं काजोल – मेरी ज़िन्दगी में किसी की भी राय मायने नहीं रखती

बता दें कि इस समय काजोल अपनी वेब सीरीज 'द ट्रायल: प्यार कानून धोखा' के प्रमोशन में जुटी हुईं हैं। यह वेब सीरीज शुक्रवार (14 जुलाई, 2023) से डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर स्ट्रीम कर रही है।

बॉलीवुड एक्ट्रेस काजोल (Kajol) ने कहा है कि उन्होंने कभी भी इस बात पर ध्यान नहीं दिया कि लोग क्या कहेंगे। काजोल ने यह भी कहा है कि उन्हें पालने वाली माँ, नानी और दादी ने उन्हें सिखाया है कि जिंदगी में कभी भी कोई और मायने नहीं रखता। इसके अलावा उन्होंने कहा है कि हर किसी को अपनी जिंदगी की जिम्मेदारी खुद लेनी चाहिए। न कि समाज पर छोड़ना चाहिए। इससे पहले उन्होंने नेताओं की अशिक्षा पर बयान दिया था, जिस पर काफी चर्चा हुई थी।

एएनआई को दिए इंटरव्यू में काजोल ने कहा है, “मैंने अपने जीवन में कभी भी इस बात पर ध्यान नहीं दिया कि लोग क्या कहेंगे। मेरा पालन-पोषण एक अद्भुत माँ ने किया। मेरी परवरिश एक ऐसी माँ ने की जो समाज को लेकर बिल्कुल भी परवाह नहीं करती थीं। दरअसल, मेरी मातृ वंशावली अद्भुत है। मेरी परदादी से लेकर मेरी दादी और मेरी माँ तक सभी ने हमेशा ही मेरा साथ अच्छा व्यवहार किया है। उन लोगों ने मुझे उदाहरण देकर मुझे सिखाया है कि जिंदगी में कोई भी मायने नहीं रखता। तुम्हारी जिंदगी तुम्हारी खुद की जिम्मेदारी है और उसमें किसी और की राय मायने नहीं रखती।”

काजोल ने आगे कहा है, “सबसे पहले तो अपनी जिंदगी की ज़िम्मेदारी लेनी चाहिए क्योंकि आपका कोई भी काम खुद का है। इस समाज को तय नहीं करना है। जिस तरह आपने अपने जीवन को बना लिया है। आखिर में समाज उसी को स्वीकार कर लेता है। यही मेरी परदादी और मेरी माँ का भी कहना था। यह बेहद दिलचस्प है कि दोनों की जिंदगी और विचार एकदम अलग थे। वास्तव में मेरी माँ आज तक अपने हिसाब से जीती हैं। मैं अपनी जिंदगी को भी उनके जैसा बनाने की कोशिश कर रही हूँ।”

बता दें कि इस समय काजोल अपनी वेब सीरीज ‘द ट्रायल: प्यार कानून धोखा’ के प्रमोशन में जुटी हुईं हैं। यह वेब सीरीज शुक्रवार (14 जुलाई, 2023) से डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर स्ट्रीम कर रही है। सुपर्ण एस वर्मा के डायरेक्शन वाली यह वेब सीरीज में काजोल के अलावा जिशू सेनगुप्ता, अली खान, शीबा चड्ढा जैसे एक्टर नजर आ रहे हैं। ‘द ट्रायल’ की कहानी एक ऐसी महिला वकील (काजोल) के जीवन पर आधारित है, जिसका पति सेक्सुअल फेवर के आरोप में जेल चला जाता है।

इसके बाद उसकी पूरी संपत्ति जब्त कर ली जाती है। महिला वकील और उसके बच्चे सड़क पर आ जाते हैं। हालाँकि बात तब और बिगड़ जाती है जब महिला वकील के पति का वकील भी धोखा देने पर उतारू हो जाता है। इसके बाद महिला वकील लॉ फर्म शुरू करते हुए केस में आगे बढ़ती है। इस सीरीज में 8 एपिसोड हैं।

गौरतलब है कि इससे पहले एक इंटरव्यू में काजोल ने कहा था, “हमारे यहाँ ऐसे राजनेता हैं, जिनका कोई शैक्षिक बैकग्राउंड नहीं है। मुझे माफ कीजिए लेकिन ये खुले तौर पर कहना पड़ेगा। हमलोगों पर वैसे नेता शासन कर रहे हैं, जिनमें से अधिकतर के पास वो दृष्टि नहीं है। शिक्षा से ये संभव होता है कि आप अलग-अलग व्यूपॉइंट को देखते हैं। मेरे फैंस काफी अच्छे हैं, मैं जो भी करती हूँ, पहनती हूँ, उसका वो समर्थन करते हैं और मुझसे प्यार करते हैं।”

हालाँकि, इस बयान के बाद लोगों के काजोल के शैक्षिक बैकग्राउंड की बातें करनी शुरू कर दी। बता दें कि काजोल स्कूल ड्रॉपआउट हैं, जिन्होंने मात्र 16 वर्ष की उम्र में ‘बेखुदी (1992)’ में काम करना शुरू कर दिया था और स्कूल की पढ़ाई छोड़ दी थी। इसके बाद वो कभी वापस स्कूल नहीं जा पाईं। वो पंचगनी स्थित सेंट जोसफ स्कूल में पढ़ती थीं। उनका परिवार पहले से ही फिल्मों से जुड़ा हुआ था। सोशल मीडिया पर लोगों ने कहा था कि धाराप्रवाह अंग्रेजी बोलना ही शिक्षित होने की निशानी नहीं होती।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

आकाश शर्मा 'नयन'
आकाश शर्मा 'नयन'
हिन्दू, हिन्दू भाई-भाई

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

‘मैं हिंदू हूँ इसलिए प्रोफेसर एहतेशाम 3 साल से जान-बूझकर कर रहे हैं फेल’: छात्रा के आरोप पर AMU का दावा- नकल करते पकड़ी...

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) की एक हिन्दू छात्रा ने आरोप लगाया है कि मुस्लिम ना होने के कारण उसे लगातार फेल किया जा रहा है।

लोकसभा की तरह महाराष्ट्र चुनाव में भी ‘वोट जिहाद’ की तैयारी, मुस्लिमों को साधने में जुटे 180 NGO: रोहिंग्या-बांग्लादेशियों के बढ़ते दखल पर TISS...

महाराष्ट्र में बढ़ती मुस्लिमों की आबादी का परिणाम क्या होता है ये मई-जून में हुए लोकसभा चुनावों में हमने देखा था। तब भी मुस्लिमों को इसी तरह एकजुट करके वोट कराया गया था।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -