Viacom18 के मालिकाना हक़ वाले चैनल Colors TV ने अब सीरियल ‘कृष्णा मोहिनी’ के जरिए LGBTQIA+ प्रोपेगंडा को आगे बढ़ाया है। चैनल पर इस सीरियल के डिस्क्रिप्शन में लिखा हुआ है कि पवित्र भूमि द्वारका में इसकी कहानी सेट है, और इसमें 21 साल की कृष्णा की कहानी दिखाई गई है। वो गायिका हैं और अपने घर की एकमात्र कमाने वाली व्यक्ति। वहीं उसके भाई मोहन के बारे में बताया गया है कि वो ‘लैंगिक पहचान’ (Gender Identity) की समस्या से जूझ रहा है।
शो का विवरण देते हुए चैनल का कहना है कि कृष्णा को अपने परिजनों की रक्षा करने के लिए सामाजिक मानदंडों और पूर्वाग्रहों का सामना करना पड़ रहा है। इस सीरियल के थीम के रूप में पहचान, परिवार और चुनौतियों के खिलाफ संघर्ष को बताया गया है। साथ ही चैनल दावा करता है कि ये सीरियल ट्रांसजेंडर समुदाय की समस्याओं को दिखाता है, उनके द्वारा सामना किए जाने वाले मुद्दों को दिखा रहा है। हालाँकि, इसके लिए बच्चों का इस्तेमाल किया गया है।
इस सीरियल के एक दृश्य में दिखाया गया है कि कैसे एक बचे का सामना LGBTQIA+ रैली से होता है और वो फिर उसी धुन में मगन हो जाता है। साथ ही एक ‘प्राइड मार्च’ भी दिखाया गया है, जिसमें समलैंगिक समुदाय के कई लोग नाचते रहते हैं। इनके हाथों में पोस्टर होते हैं। बता दें कि पश्चिमी देशों में ‘प्राइड मार्च’ के नाम पर नग्न प्रदर्शन भी हो चुके हैं। सीरियल में जब बच्चा पूछता है कि ‘प्राइड मार्च’ क्या होता है, तो एक शख्स समझाता है कि वो लड़की पैदा हुई थी लेकिन उसे लड़के जैसा रहना पसंद है तो उसने खुद को लड़का बना दिया।
वो लोग बताते हैं कि वो दुनिया को बता रहे हैं कि उन्हें पूरा हक़ है अपने-आप को बदलने का, उस हिसाब से जो वो अंदर से महसूस करते हैं। वहीं एक समलैंगिक शख्स कहता है कि उस बच्चे के अंदर भी एक लड़ाई चल रही है, वो भी इसमें शामिल हो सकता है, अपनी सच्चाई को स्वीकार करते हुए अपने अंदर के डर को निकाल सकता है। ये लोग कहते हैं कि घर वाले उन्हें नहीं समझते, बहुत बोलते हैं। फ्लैशबैक में दृश्य दिखाए गए हैं जब उसके दोस्त उसे ‘मोहनिया’ कह कर चिढ़ाते हैं, उसके पिता लड़कियों वाले कपड़े पहनने पर उसकी पिटाई करते हैं।
वहीं एक दृश्य में उसके शिक्षक उसकी बहन से कहते हैं कि तुम्हारा भाई अजीब है, दूसरे लड़कों से अलग है। वही एक व्यक्ति समलैंगिकों के बारे में कहता है कि ऐसे लोगों से दूर रहना चाहिए, ऐसे लोग ठीक नहीं होते हैं। वो बच्चा सोचता है कि उसके भीतर एक लड़की है और कोई उसे नहीं समझता। फहमान खान, सेजल जायसवाल और देबात्तमा साहा इसमें मुख्य किरदारों में हैं। हालाँकि, इसमें भगवान श्रीकृष्ण का नाम और उनकी धरती को कहानी से क्यों जोड़ा गया है ये समझ से परे है।
Jo nikla tha apni pehechaan ki khoj mein, uss Mohan ke raaste mein phir ek baar rukaawat aayi. 🥺
— ColorsTV (@ColorsTV) May 23, 2024
Dekhiye #KrishnaMohini, har roz raat 7 baje, sirf #Colors aur @JioCinema par.#FahmaanKhan #DebattamaSaha #KetakiKulkarni pic.twitter.com/k26b3VfCCh
भारत में समलैंगिक समाज का हमेशा से सम्मान किया जाता रहा है, जो प्राकृतिक रूप से ऐसे हैं। विवाह से लेकर बच्चे के जन्म जैसे शुभ अवसरों पर उन्हें सम्मान दिया जाता है, उपहारों से नवाजा जाता है और उनका आशीर्वाद लिया जाता है। भगवान विष्णु ने भी दानवों से अमृत लेने के लिए ‘मोहिनी’ का रूप लिया था, वहीं शिव और पार्वती मिल कर अर्धनारीश्वर बनते हैं। लेकिन, पश्चिमी देशों से ये चलन आया है कि किसी भी उम्र में कोई कुछ भी महसूस कर लेता है और फिर उस हिसाब से चाल-ढाल बदल लेता है।