भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच ब्रिस्बेन में खेले जा रहे चौथे टेस्ट मैच में गेंदबाजी आक्रमण का नेतृत्व सम्भाल रहे छब्बीस वर्षीय मोहम्मद सिराज (Mohammed Siraj) के ऑस्ट्रेलिया पहुँचने के कुछ दिन बाद ही उनके पिता का देहांत हो गया और वो अपने बेटे को टेस्ट क्रिकेट खेलते हुए नहीं देख सके।
‘मियाँ भाई’ सिराज क्वॉरंटीन की शर्तों के कारण अपने पिता के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो पाए। ऑटो चालक पिता ने सपना देखा था कि उनका बेटा भारत के लिए टेस्ट क्रिकेट खेले। सपना पूरा होने ही जा रहा था, लेकिन तभी ‘मियाँ भाई’ के पिता का निधन हो गया।
सिराज ने दूसरी पारी में 05 विकेट लेकर ऑस्ट्रेलिया की टीम को महज 294 रन पर समेट दिया और अपने करियर की पहली सीरीज में तीन मैचों में 13 विकेट लेने के बाद मोहम्मद सिराज ने लोगों के दिलों में अपनी जगह बना ली है।
A standing ovation as Mohammed Siraj picks up his maiden 5-wicket haul.#AUSvIND #TeamIndia pic.twitter.com/e0IaVJ3uA8
— BCCI (@BCCI) January 18, 2021
‘बॉर्डर-गावस्कर सीरीज’ मैच के दूसरे मैच में उन्होंने डेब्यू किया। मेलबर्न उनके करियर का पहला मुकाबला था। राष्ट्रगान के समय मोहम्मद सिराज की आँखों छलक पड़ीं, यह निश्चित ही उनके लिए भावुक पल था।
ब्रिसबेन में 05 विकेट लेने के बाद जब मोहम्मद सिराज से पूछा गया कि इतने भावुक दौरे पर सफलता हासिल कर वो कैसा महूसस कर रहे हैं, तो इसके जवाब में उन्होंने कहा, “मैं भगवान का शुक्रिया करना चाहता हूँ कि मुझे खेलने का मौका मिला। यह मेरे पिता की इच्छा थी कि उनका बेटा खेले और पूरी दुनिया उसे देखे। काश वह होते और देख पाते तो वह काफी खुश होते। यह उनका आशीर्वाद है कि मैं 5 विकेट ले पाया। मेरे पास इसे बयान करने के लिए शब्द नहीं हैं।”
भारतीय गेंदबाज ने कहा था कि उनके पिता ने उन्हें मानसिक रूप से मजबूत की और वही उनके प्रेरणास्रोत थे। सिराज ने कहा कि वो अपने पिता की इच्छा पूरी करेंगे। सीरीज के आखिरी मैच तक वो टीम इण्डिया के सीनियर बॉलर बन चुके हैं।
आईपीएल खेलते समय वो अपने पिता के स्वास्थ्य के लिए अक्सर चिंतित रहे। सिराज के पिता के फेफड़े खराब हालत में थे और अक्सर अस्पताल में ही रहे। सिराज ने एक बार यह भी बयान दिया था कि जब भी उन्हें घर बुलाया जाता है वो टूट जाते हैं और अगर उनके पिता अस्पताल से बाहर होते, तो वे बेहतर महसूस करते और अपने क्रिकेट का अधिक आनंद लेते।
सिराज के पिता का देहांत हुआ और वो उनके अंतिम संस्कार तक में शामिल नहीं हो सके। लेकिन अगर वो ऐसा करते तो शायद वो अपने पिता का ही सपना तोड़ बैठते। सिराज के पिता बस यही चाहते थे कि वो टेस्ट क्रिकेट खेलें। सिराज ने यही किया और आज उन्हें इसके लिए बड़े स्तर पर सराहा जा रहा है।