सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद से बॉलीवुड में नेपोटिज्म और आउटसाइडर को लेकर दोहरा व्यवहार चर्चा के केंद्र में है। लोग बॉलीवुड में प्रचलित नेपोटिज्म, खेमेबाजी और दिग्गज सेलिब्रिटीज की बुलिंग को सुशांत की आत्महत्या की वजह बता रहे हैं।
सुशांत के असामयिक निधन के बाद जनता में स्ट्रगल करने वाले एक्टर्स के लिए सहानुभूति उत्पन्न हो गई है। इस सहानभूति का फायदा उठाने के लिए स्वरा भास्कर ने खुद को आउटसाइडर बताया है। साथ ही लोगों से थिएटर में जा कर अपनी फिल्म देखने का अनुरोध भी किया है।
स्वरा हाल ही में आई अपनी एक वेब सीरीज रसभरी को लेकर कंट्रोवर्सी में हैं। IMDB पोर्टल में वेब सीरीज रसभरी को सब कम रेटिंग मिली है। वहीं CNN 18 में दिए एक इंटरव्यू में स्वरा ने खुद को नवाजुद्दीन सिद्दीकी, दीपक डोबरियाल, ऋचा चड्डा, जयदीप अहलावत, राजकुमार राव, जीशान अय्यूब जैसे अभिनेताओं की तरह आउटसाइडर बताया है।
#भैयाजी_कहिन ऑडिएंस से भी पूछा स्वरा ने सवाल @ReallySwara @prateektv pic.twitter.com/UQuetmWAs8
— News18 India (@News18India) July 2, 2020
स्वरा ने कहा कि फिल्म इंडस्ट्री नेपोटिस्टिक नहीं है, सामंतवादी है। इसलिए, जब इसे एक उद्योग और कॉरपोरेट मनी का दर्जा मिला और इसमें विभिन्न प्लेटफार्म उभर आए। इसकी वजह से इसमें आपको आउटसाइडर दिखने लगे। जैसे कि नवाजुद्दीन सिद्दीकी, राजकुमार राव, जयदीप अहलावत, दीपक डोबरियाल, ऋचा चड्डा, हुमा कुरैशी, मैं, मोनिका डोगरा और अन्य प्रमुख भूमिकाओं में आने वाले लोग।
स्वरा भास्कर ने कहा कि स्टार किड्स के ऊपर उठने के पीछे ऑडियंस जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा, “मैं दर्शकों से पूछना चाहती हूँ, आपको बहुत हमदर्दी है हमसे (बाहरी लोगों)। लेकिन नवाजुद्दीन की मोतीचूर चकनाचूर का बॉक्स ऑफिस कलेक्शन क्या था? इरफान खान के कारवॉं का क्या हाल हुआ? राजकुमार राव की ट्रैप्ड ने कितनी कमाई की? रिचा चड्ढा के आर्टिकल 375 का बॉक्स ऑफिस कलेक्शन कैसा रहा? सुशांत सिंह राजपूत की सोनचिरैया और मेरी अनारकली का बॉक्स ऑफिस कलेक्शन कैसा था? इनकी तुलना हीरोपंथी के बॉक्स ऑफिस कलेक्शन, स्टूडेंट ऑफ द ईयर की सफलता, धड़क की कमाई से करिए। ये दर्शक हैं जो स्टार किड्स को बड़े सितारे बनाते हैं। यदि आपको हमसे सहानुभूति है तो थिएटर में जाकर हमारी फिल्में देखिए।”
खुद को आउटसाइडर बोल कर स्वरा भास्कर लोगों की सहानुभूति पाना चाहती है। लेकिन वास्तविकता इससे कहीं अलग है। दरअसल, स्वरा भास्कर की माँ इरा भास्कर सेंसर बोर्ड (CBFC) की सदस्य रह चुकी हैं। यह भी उल्लेखनीय है कि जब एक्टर रणवीर कपूर की मूवी ‘रॉकस्टार’ में उसके प्रोडूसर को ‘फ्री तिब्बत’ वाले फ्लैग को ब्लर्र करने के लिए कहा गया था, तब इरा भास्कर CBFC की सदस्य थीं। उस दौरान सीबीएफसी ने कहा था कि “फ्री तिब्बत” का नारा भारत-चीन संबंधों को नुकसान पहुँचा सकता है।
इरा भास्कर जनवरी 2015 तक CBFC की सदस्य थीं और सीबीएफसी प्रमुख लीला सैमसन के पद छोड़ने के बाद उन्होंने भी बोर्ड छोड़ने का फैसला लिया था। इरा भास्कर फिल्म इतिहासकार के साथ जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में सिनेमा स्टडीज़ की प्रोफेसर भी हैं।
स्वरा भास्कर का खुद को आउटसाइडर बताना कहीं न कहीं लोगों को गुमराह करना और पब्लिक की सहानुभूति पाने की कोशिश है, जबकि उनकी माँ भारत सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्रालय की फिल्म-प्रमाणन संस्था सेंसर बोर्ड की मेंबर रह चुकी हैं।
ऐसा कर स्वरा न केवल अपने मॉं के अतीत को छिपाना चाहती हैं बल्कि एक अभिनेता की मौत का फायदा उठा कर अपने बॉलीवुड करियर को पटरियों पर लाने की कोशिश कर रही हैं।