Sunday, November 3, 2024
Homeविविध विषयभारत की बातओडिशा: महानदी में 11 साल बाद उभरा 500 वर्ष पुराना गोपीनाथ मंदिर, देखने को...

ओडिशा: महानदी में 11 साल बाद उभरा 500 वर्ष पुराना गोपीनाथ मंदिर, देखने को जुटी भीड़

स्थानीय लोगों के मुताबिक, उस जगह करीब 22 मंदिर थे। जो पानी का स्तर बढ़ने के बाद नदी में विलीन हो गए। गोपीनाथ मंदिर का अग्र भाग पानी का स्तर कम होने पर इसलिए दिखाई देता है, क्योंकि यह उस समय का समय बड़ा मंदिर था। लोग बताते हैं कि इससे पूर्व भगवान गोपीनाथ मंदिर के मस्तक के दर्शन 11 वर्ष पूर्व हुए थे।

ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर के नयागढ़ जिले में महानदी के जल में 500 साल पुराने गोपीनाथ मंदिर के अवशेष दिखाई दिए हैं। कहा जा रहा है इससे पहले यह मंदिर 11 साल पहले नजर आया था। इसके बाद इसके अग्र भाग के दर्शन पानी का स्तर कम होने से अब फिर हुए हैं। इसे देखने के लिए पद्मवती गाँव के पास काफी संख्या में लोग पहुॅंचे।

बता दें, नयागढ़ जिल में यह खोज INTACH की महानदी वैली हेरिटेज साइट्स डॉक्यूमेंटेशन प्रोजेक्ट का हिस्सा है। प्रोजेक्ट असिस्टेंट दीपक कुमार नायक ने ऐतिहासिक धरोहरों के बारे में रूचि रखने वाले रवीन्द्र कुमार राणा की मदद से इस साइट का मुआयना किया और बताया कि गोपीनाथ मंदिर भगवान श्रीकृष्ण का ही मंदिर था।

फेसबुक पोस्ट में दीपक कुमार नायक ने इस मंदिर को प्रोजेक्ट में शामिल करने तक की पूरी कहानी साझा की है। उन्होंने बताया कि अतीत में पद्मवती गाँव सतपतना का हिस्सा था। यानी 7 गाँव का गठजोड़। 19 वीं शताब्दी में नदी के स्तर में भारी बदलाव आने के कारण यहाँ के लोग ऊँचे स्थानों पर जा बसे। इस दौरान ग्रामीणों ने न केवल खुद के स्थान को बदला, अपितु मंदिर के देवताओं को भी अपने साथ ले गए।

स्थानीय लोगों के मुताबिक, उस जगह करीब 22 मंदिर थे। जो पानी का स्तर बढ़ने के बाद नदी में विलीन हो गए। गोपीनाथ मंदिर का अग्र भाग पानी का स्तर कम होने पर इसलिए दिखाई देता है, क्योंकि यह उस समय का समय बड़ा मंदिर था। लोग बताते हैं कि इससे पूर्व भगवान गोपीनाथ मंदिर के मस्तक के दर्शन 11 वर्ष पूर्व हुए थे। पर तब यह बहुत कम समय के लिए उभरा था। लेकिन, पिछले एक साल में इसके दर्शन 4-5 बार हुए हैं।

दीपक कुमार नायक के अनुसार, तीन महीने पहले उन्हें उनके मित्र रवींद्र राणा ने कॉल करके इस बारे में बताया था। इससे पहले उन्हें संबलपुर में कुछ नदीजल में लीन हुए मंदिर के बारे में पता था लेकिन महानदी घाटी के निचले-मध्य क्षेत्र में जलमग्न मंदिर के बारे में सुनना उनके लिए एक असाधारण बात थी। बस फिर क्या? इसके बाद उन्होंने अपने प्रोजेक्ट कॉर्डिनेटर को इस संबंध में बताया और उन्होंने इसे अपने अभियान “Mahanadi Valley Heritage Sites Documentation” का हिस्सा बनाया।

दीपक के अनुसार, अनिल धीर, उनकी बातें सुनकर और स्पॉट पर जाने को तैयार हुए और उन्होंने 3 तीन दिन के अंदर जाकर इस जगह का मुआयना करने का मन बनाया। लेकिन कोविड-19 के कारण उनका प्लान चौपट हो गया। पर, जैसे ही कुछ दिन पहले लॉकडाउन खत्म हुआ, वह फौरन जगह पर गए। लेकिन करीब तीन बार उन्हें मंदिर जल के अंदर मिला।

दीपक कहते हैं कि उन्होंने हर बार कोशिशों के असफल होने पर अपनी उम्मीद छोड़ दी थी कि वह शायद इस जगह को दस्तावेजों में न शामिल कर पाएँ। लेकिन 7 जून को अचानक उनके मित्र राणा बाबू ने उन्हें बताया कि मंदिर का ऊपरी भाग अब नदी में कुछ दिनों से दिखने लगा है। यह सुनते ही दीपक ने अपने वरिष्ठ अनिल धीर को इस बारे में बताया। लेकिन दुर्भाग्यवश उस समय अनिल उनके साथ साइट पर नहीं जा पाए।

अगली सुबह 7 बजे दीपक बैदेश्वर पहुँचे। इसके बाद उन्होंने पद्मवती गाँव जाने का सफर अपने मित्र राणा के साथ नाव के जरिए तय किया। करीब 10 मिनट बाद वह मंदिर के अग्र भाग के पास थे। मंदिर का मस्तक उन्हें स्पष्ट दिख रहा था। उन्होंने इस दौरान तस्वीर खींचकर कई प्रमाण लेने का प्रयास किया। लेकिन नदी का वेग ऐसा था कि यह सब असंभव लगने लगा।

इस बीच उनके साथ नौका में आए, बालुंकेश्वर मंदिर के पुजारी ने नदी के अग्र भाग पर कूदकर नाव को स्थिर किया और वह कुछ तस्वीर खींच पाए। बता दें सोशल मीडिया पर गोपीनाथ मंदिर की यही तस्वीरें इस समय वायरल हो रही हैं।

दीपक के अनुसार, पद्मवती गाँव में वर्तमान में स्थित गोपीनाथ मंदिर में जल में विलीन मंदिर की असली मूर्ति विद्यमान है। इसके अलावा प्रोजेक्ट असिस्टेंट दीपक कहते हैं कि गोपीनाथ मंदिर को बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाला पत्थर वहीं लग रहा है जिनका प्रयोग 15वी व 16वीं शताब्दी में मंदिरों को बनाने के लिए किया जाता था।

उन्होंने बताया जब यह यह क्षेत्र पानी में विलीन हुआ, उस समय वहाँ कई देवता थे जिन्हें स्थानांतरित कर दिया गया था। उनमें से गोपीनाथ, नृसिंह, रास बिहारी, कामना देवी और दधिभमण उल्लेखनीय थे। जिन्हें आज भी निकटवर्ती टिकरीपाड़ा गाँव और पद्मवती गाँव में पूजा जाता है।

दैनिक जागरण की रिपोर्ट के मुताबिक पद्मावती ग्रामवासी सनातन साहू ने कहा है कि सन् 1933 में हमारा गाँव सम्पूर्ण रूप से नदी में विलीन हो गया था। उस समय हमारी उम्र 6 साल थी। हम पाँच भाई-बहनों ने पद्मवती यूपी स्कूल में शरण ली थी। उस साल बाढ़ आने के साथ नदी गतिपथ बदलकर हम सबके लिए काल बन गई थी।

INTACH की कोशिशों पर प्रोजेक्ट सचिव अनिल धीर

इस मंदिर के संबंध में और अपने प्रोजेक्ट के बारे में जानकारी देते हुए महानदी प्रोजेक्ट के प्रमुख अनिल धीर ने कहा कि इंडियन नेशनल ट्रस्ट फार आर्ट एण्ड कल्चरल हेरिटेज (इनटाक) की तरफ से डॉक्यूमेंटेशन ऑफ दि हेरिटेज आफ दि महानदी रिवर वैली प्रोजेक्ट शुरू किया गया है।

छत्तीसगढ़ से महानदी के निकलने वाले स्थान से जगतसिंहपुर जिले के पारादीप तक 1700 किमी. (दोनों तरफ) के किनारे से 5 से 7 किमी. के बीच सभी पुरानी कीर्तियों की पहचान की जाएगी। इन तमाम सामग्रियों की रिकार्डिंग की जा रही है। फरवरी महीने में इसकी सूची प्रकाशित की जाएगी।

धीर ने कहा है कि ओडिशा में ऐसे बहुत से मंदिर हैं जो पानी में डूबे हुए हैं। इसमें हीराकुद जलभंडार में 65 मंदिर शामिल हैं। नदियों में भी बहुत से मंदिर समाहित हैं, जिनका सर्वे होना चाहिए। कुछ मंदिर अभी भी खड़े हैं और कुछ ढह गए हैं। मॉडल के तौर पर गोपीनाथ मंदिर को पुन: महानदी से निकालकर जमीन में स्थापित किया जाना चाहिए। 

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

‘कार्यकर्ताओं के कहने पर गई मंदिर, पूजा-पाठ नहीं की’ : फतवा जारी होते ही सपा प्रत्याशी नसीम सोलंकी ने की तौबा, पार्टी वाले वीडियो...

नसीम सोलंकी अपने समर्थकों सहित चुनाव प्रचार कर रहीं थीं तभी वो एक मंदिर में रुकीं और जलाभिषेक किया। इसके बाद पूरा बवाल उठा।

कर्नाटक में ASI की संपत्ति के भी पीछे पड़ा वक्फ बोर्ड, 53 ऐतिहासिक स्मारकों पर दावा: RTI से खुलासा, पहले किसानों की 1500 एकड़...

कॉन्ग्रेस-शासित कर्नाटक में वक्फ बोर्ड ने राज्य के 53 ऐतिहासिक स्मारकों पर अपना दावा किया है, जिनमें से 43 स्मारक पहले ही उनके कब्जे में आ चुके हैं।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -