पंजाब के जालंधर में रहने वाले 92 साल के सरवन सिंह ने कभी सोचा नहीं था कि वो 75 साल बाद अपने बिछड़े भतीजे को देख पाएँगे। भारत-पाकिस्तान विभाजन के वक्त जब हर जगह हाहाकार मचा था, इस्लामी कट्टरपंथी हिंदुओं और सिखों को पाकिस्तान से काफिर कहकर मार-मारकर भगा रहे थे, तब उस हिंसा की गाज सरवन सिंह के परिवार पर भी गिरी थी।
पाकिस्तान के ‘चक 37’ गाँव में उस दौरान एक हमला हुआ। उस हमले में सरवन सिंह के घर के करीबन दो दर्जन (22) लोग मौत के घाट उतारे गए थे। उन्हीं परिजनों के बीच सरवन सिंह का भतीजा मोहन भी था, जो कि तब सिर्फ 6 बरस का था। मोहन उस हिंसा में बच गया था और घरवालों के गुजर जाने के बाद पाकिस्तान में ही रहने लगा था। एक मुस्लिम परिवार ने उसे पाला और उसे धर्म बदलवाकर अफजल खालिक कर दिया गया।
92-year-old Sarwan Singh, who lost 22 members of his extended family to the carnage of partition, met his nephew Mohan Singh – who is now called Abdul Khaliq
— Anshul Saxena (@AskAnshul) August 9, 2022
Sarwan Singh is Sarwan Singh in India
Mohan Singh is Abdul Khaliq in Pakistan
And, Pakistan lectures India on minorties pic.twitter.com/d6IDHNc9qN
इतने वर्षों तकसरवन को नहीं पता था कि उनका भतीजा कहाँ है और न ही मोहन जानते थे कि उनके किसी रिश्तेदार को आज भी वह याद हो सकते हैं। लेकिन दोनों को मिलाने में जो सूत्रधार बने वो ऑस्ट्रेलिया के यूट्यूबर गुरुदेव सिंह हैं।
गुरुदेव ने विभाजन से जुड़ी वीडियोज देखने की कड़ी में एक जगह सरवन सिंह को मोहन के गायब होने का दर्द बयां करते सुना। दूसरी ओर उन्हें पाकिस्तान के एक ऐसे ही शख्स का पता चला जो अपने बारे में वही डिटेल्स बता चुके थे जो सरवन अपने भतीजे के बारे में बता रहे थे।
GurdevSingh from Australia had seen a documentary in which Sarwan Singh mentioned about missing Mohan & an interview of a Pakistani who revealed similar stuff about himself. GurdevSingh managed to contact & connect them.
— Meenakshi Sharan (@meenakshisharan) August 9, 2022
Lakhs & lakhs lost their dear ones forever..🥲😥
गुरुदेव ने दोनों बयानों में इतनी समानताएँ पाने के बाद दोनों परिवारों के नंबर जुटाए। उनसे बात की और आखिर में उन्हें मिलवाने का बीड़ा उठाया। गुरुदेव के प्रयासों के बाद अभी हाल में जब सरवन सिंह अपनी बेटी के साथ करतारपुर साहिब गए तो उनकी मुलाकात मोहन से हुई।
A 92-year-old man from Punjab's Jalandhar met his nephew from Pakistan after 75 years at Gurdwara Kartarpur Sahib with the help of the internet.#SarwanSingh #GuruNanak #Gurdwara #Sikhism #Pakistan #Punjab pic.twitter.com/NEZD5P05sB
— The Logical Indian (@LogicalIndians) August 9, 2022
मोहन उनके लिए घर से लड्डू बनवाकर लाए थे। एक दूसरे को देखते ही दोनों की आँख में आँसू गए और और उन्होंने गले लगकर अपनी खुशी जताई। दोनों एक दूसरे को देख यकीन नहीं कर पा रहे थे कि वो दूसरे से 75 साल बाद मिल पा रहे हैं।
भतीजे को देख सरवन सिंह ने कहा,
“मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा, मुझे मेरा भतीजा मिल गया। कोई उम्मीद नहीं थी। भगवान ने मुझे लंबी उम्र दी कि मैं उससे मिल पाऊँ। मैं उम्मीद करता हूँ कि अगर दोनों देशों की सरकारें मान जाएँ तो वो भारत आए और हमसे मिले।”