कभी किसी नेता को अपने गाँव-क्षेत्र का दौरा करते देखे हैं? याद कीजिए तो आँखों के सामने गाड़ियों का काफिला और बंदूकों से लैस बॉडीगार्ड्स दिखेंगे। लेकिन कुछ लोग कैबिनेट रैंक के नेता बनने के बाद भी नहीं बदलते। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल शायद ऐसे ही लोगों में से हैं। शनिवार 22 जून को वह परिवार के साथ उत्तराखंड में अपने पैतृक गांव घीड़ी पहुंचे।
अजीत डोभाल की इस यात्रा को पूरी तरह निजी रखा गया – कोई ताम-झाम नहीं। अपनी इस यात्रा के दौरान उन्होंने उत्तराखंड सरकार से किसी भी तरह का कोई सरकारी प्रोटोकॉल लेने से इनकार कर दिया। और ऐसा उन्होंने तब किया जबकि वे केंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री की रैंक पर होने के साथ-साथ ज़ेड प्लस सुरक्षा कैटेगरी में आते हैं। इसके बाद गाँव वालों से भी उतनी ही आत्मीयता से मिले, जैसे कोई आम जन छुट्टियों पर घर आया हो।
Rare Public Appearance!
— Major Surendra Poonia (@MajorPoonia) June 23, 2019
NSA Ajit Doval visited his native village Ghiri in Pauri Garhwal.
He gave 1.5L INR to solve a local problem of villagers.
It’s not the money but the heart and feeling for your own people’s issues that matters the most. pic.twitter.com/3JmxBM10Q9
अपनी पत्नी, बेटा विवेक और पोती के साथ उन्होंने अपनी कुल देवी बाल कुंवारी मंदिर में पूजा अर्चना की। इसके बाद सरकारी प्रोटोकॉल से दूर एक साधारण व्यक्ति की तरह उन्होंने अपने गाँव में समय बिताया। उन्होंने गाँव में मौजूद नाते रिश्तेदारों का हाल-चाल भी जाना। ऊपर के वीडियो में आप देख सकते हैं कि किस कदर वो गाँव के बुजुर्ग लोगों से उनका स्वास्थ्य पूछ रहे हैं, जो कि गढ़वालियों में बहुत कॉमन होता है – फिर चाहे आप किसी अजनबी से ही क्यों न मिल रहे हों, यह पूछना तो बनता ही है कि “और आपका स्वास्थ्य-पानी सब ठीक है?”
इसके बाद उन्होंने मंदिर के नाम डेढ़ लाख रुपए दान किए। जो लिफाफा वो बगल खड़े आदमी को थमा रहे हैं, उसमें शायद चेक होगा, जिसे देते वक्त वो कह रहे हैं – मंदिर के रख-रखाव के काम आएगा ये। इस बीच आप उस बुजुर्ग महिला (शायद) को भी कहते सुन सकते हैं कि उनकी लड़की की शादी है, उसमें पहुंच जाना। इस पर अजीत डोभाल हाथ जोड़ते हुए शुभकामनाएँ दे रहे हैं।
आपको बता दें कि अजीत डोभाल का जन्म 1945 में घीड़ी गांव में हुआ था। यहाँ की प्राथमिक शिक्षा के बाद उन्होंने अजमेर के सैनिक स्कूल में प्रवेश लिया। फिर आगरा विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद वे आईपीएस अधिकारी बने।