Saturday, December 21, 2024
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बांग्लादेश को बिना खेले चाहिए था 5 रन, उतने ही रनों से हारने पर ‘कोहली की फेक फिल्डिंग’ का रोना-धोना, मातम में पाकिस्तानी भी शामिल

मैच के दौरान इसकी शिकायत न तो दोनों बांग्लादेशी बैट्समैन ने की, ना ही दोनों अंपायर ने इसे देखा। मैच के बाद बांग्लादेशी क्रिकेटर नुरुल हसन ने मीडिया में इसे उछाला। उसके बाद दोनों इस्लामी मुल्कों में मातम... पाकिस्तान में कुछ ज्यादा!

T20 क्रिकेट वर्ल्ड कप चल रहा है। भारत ने बांग्लादेश को 5 रनों से हरा दिया है। हार मानने के बजाय बांग्लादेशी विराट कोहली का नाम लेकर ‘फेक फिल्डिंग (fake fielding)’ और 5 रन का रोना रो रहे हैं।

ऑस्ट्रेलिया के एडिलेड ओवल में खेले गए 2 नवंबर के मैच में ‘फेक फिल्डिंग’ वाली यह बात 7वें ओवर में हुई, ऐसा बांग्लादेशियों का आरोप है। अक्षर पटेल की बॉल पर लिटन दास ने ऑफ साइड पर शॉट खेला था। अर्शदीप ने फिल्डिंग करते हुए बॉल को विकेटकीपर दिनेश कार्तिक की ओर फेंका। इसी बीच विराट कोहली ने भी बॉल को थ्रो करने का इशारा किया। बवाल ‘थ्रो करने के इसी इशारे (Virat Kohli fake fielding)’ को लेकर है।

मजेदार बात यह है कि मैच के दौरान इसकी शिकायत न तो दोनों बांग्लादेशी बैट्समैन ने की, ना ही दोनों अंपायर ने इसे देखा। ESPN क्रिकइंफो की रिपोर्ट के अनुसार, यही कारण है कि इस पर कोई एक्शन नहीं लिया गया। इसके उलट सोशल मीडिया और बांग्लादेशी मीडिया में यह लिखा जा रहा है कि कोहली की इस ‘फेक फिल्डिंग’ को लेकर उस समय नजमुल हुसैन शैंटो ने अंपायर से शिकायत की थी, लेकिन उसे अनसुना कर दिया गया।

मैच हारने के बाद बांग्लादेशी क्रिकेटर नुरुल हसन ने मीडिया से विराट कोहली की ‘फेक फिल्डिंग’ पर बात की। बारिश, खिलाड़ियों का मोमेंटम, गीली आउटफिल्ड आदि की बात करते हुए नुरुल हसन ने फ्री के 5 रन वाली बात कर दी। बांग्लादेशियों को और वहाँ की मीडिया को इससे मसाला मिल गया। लगे रोने-धोने।

क्या होती है ‘फेक फिल्डिंग’?

ICC के नियम 41.5 यह कहता है – “जानबूझकर बैट्समैन की एकाग्रता भंग करना, धोखा देना या उसे बाधा पहुँचाना प्रतिबंधित है।” इसमें आगे लिखा गया है कि यदि ऐसा किया जाता है तो अंपायर उस बॉल को डेड बॉल घोषित कर सकते हैं, बैटिंग कर रही टीम को 5 रन दिया जा सकता है।

बांग्लादेशी क्रिकेटर नुरुल हसन को लेकिन शायद यह नहीं पता था कि ‘फेक फिल्डिंग’ के इसी नियम में यह भी स्पष्ट लिखा गया है – “यह दोनों अंपायरों में से किसी एक को तय करना है कि खेल के दौरान जानबूझकर बैट्समैन की एकाग्रता भंग की गई है या नहीं, धोखा दिया गया है या नहीं या उसे बाधा पहुँचाई गई है या नहीं।”

खेल के बाद मैच रेफरी या कोई दूसरे ‘फेक फिल्डिंग’ को लेकर फैसला नहीं सुना सकते। यही कारण है कि कप्तान शाकिब अल हसन ने टीम की हार को स्वीकार किया और मीडिया के सामने ऐसी कोई बात नहीं की।

हार बांग्लादेश की, मातम पाकिस्तान में

‘फेक फिल्डिंग’ को लेकर बांग्लादेशियों से ज्यादा पाकिस्तानी रो रहे हैं। सोशल मीडिया पर वीडियो शेयर करके आईसीसी के नियमों का हवाला दे रहे।

पाकिस्तानियों को समझना चाहिए कि उनके यहाँ तो शोएब अख्तर भी अपनी बात से पलटा खा जाते हैं, फिर भी लगे पड़े हैं बेचारे… उनका दुख खत्म ही नहीं हो रहा!

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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