सरकारी टेलीकॉम कंपनी भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) फिलहाल आर्थिक संकट से जूझ रही है। कंपनी के हालात इतने बुरे हैं कि कर्मचारियों को जून माह की सैलरी देने में भी असमर्थ है। BSNL में तकरीबन 1.7 लाख कर्मचारी काम करते हैं और जून महीने के इनके वेतन की राशि ₹850 करोड़ है। कंपनी ने सरकार से तत्काल फंड की सुविधा माँगी है। बीएसएनएल ने सरकार से ऑपरेशन जारी रखने में अक्षमता जताते हुए कहा कि कंपनी के पास कामकाज जारी रखने के लिए पैसे नहीं हैं। कंपनी के पास लगभग ₹13,000 करोड़ की आउटस्टैंडिंग लायबिलिटी है जिसने कारोबार चलाना मुश्किल बना दिया है।
BSNL is in serious trouble again https://t.co/OOdZADHAnW
— IndiaTodayTech (@IndiaTodayTech) June 25, 2019
इस मामले को लेकर बीएसएनएल के कॉर्पोरेट बजट एंड बैंकिंग डिविजन के सीनियर जनरल मैनेजर पूरन चंद्र ने टेलिकॉम मंत्रालय में ज्वाइंट सेक्रटरी को पत्र लिखकर कहा कि हर महीने के रेवेन्यू और खर्चों में अंतर की वजह से अब कंपनी का संचालन जारी रखना चिंता का विषय बन गया है। उन्होंने आगे कहा कि अब यह एक ऐसे लेवल पर पहुँच चुका है, जहाँ बिना किसी पर्याप्त इक्विटी को शामिल किए बीएसएनएल के ऑपरेशंस जारी रखना लगभग नामुमकिन होगा।
BSNL के साथ-साथ MTNL भी आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। दोनों कंपनियाँ 2010 से घाटे में चल रही हैं। MTNL दिल्ली और मुंबई में तथा BSNL शेष 20 दूरसंचार सर्किलों में परिचालन करती है। बीएसएनएल का घाटा लगातार बढ़ता जा रहा है। वित्त वर्ष 2017 में कंपनी को ₹4,786 करोड़ का घाटा हुआ था। वहीं, 2018 में यह बढ़कर ₹8,000 करोड़ हो गया। 2019 में इसके और ज्यादा बढ़ने की आशंका है।
बीएसएनएल के इंजीनियरों और अकाउंटिंग प्रोफेशनल्स के एक संघ ने रविवार (जून 23, 2019) को पीएम नरेंद्र मोदी से कंपनी को मुसीबत से उबारने का आग्रह किया था। उन्होंने बताया कि कंपनी पर किसी तरह का कर्ज नहीं है, साथ ही कंपनी की मार्केटिंग पार्टनरशिप में भी लगातार इजाफा हो रहा है। ऐसे में कंपनी को फिर से खड़ा किया जाना चाहिए। कंपनी में उन कर्मचारियों की जवाबदेही तय की जानी चाहिए जो अपना काम ठीक से नहीं कर रहे हैं। वहीं, कंपनी के इस हालात के पीछे उसका तकनीकी रुप से पिछड़ना भी शामिल है। देश जहाँ 5जी की तैयारी में जुटा है, तो वहीं BSNL अभी भी 4 जी के लिए संघर्ष कर रहा है।